Spotnow news: राजस्थान की खींवसर विधानसभा सीट पर भाजपा के रेवंतराम डांगा ने 16 साल से rlp के गढ़ रहे खीवसर में भाजपा को जीत दिलवाई है। इस सीट पर जीत हासिल कर उन्होंने पूर्व सांसद और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) के प्रमुख हनुमान बेनीवाल की पत्नी कनिका बेनीवाल को 13,870 से ज्यादा वोटों से हराकर एक ऐतिहासिक जीत दर्ज की।
यह जीत न केवल भाजपा के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि हनुमान बेनीवाल की राजनीतिक जमीन पर भी एक बड़ा सवाल खड़ा करती है।
खींवसर विधानसभा उपचुनाव में 115 सर्विस वोटर और 402 वरिष्ठ नागरिकों ने पोस्टल बैलट से वोट डाले। इस बार भाजपा और रालोपा के बीच कांटे की टक्कर रही, जबकि कांग्रेस पिछड़ती हुई नजर आई।
जिला निर्वाचन अधिकारी अरुण कुमार पुरोहित ने बताया कि 14 टेबलों पर ईवीएम की काउंटिंग पूरी हो चुकी है। जबकि 4 टेबलों पर पोस्टल बैलट भी गिने गए। पोस्टल बैलट की काउंटिंग के बाद ईवीएम की काउंटिंग पूरी हुई, और जीत का प्रमाण पत्र सौंपने की प्रक्रिया की गई।
इस दौरान पुलिस अधीक्षक नारायण टोगस, केंद्रीय पर्यवेक्षक और अन्य पुलिस-प्रशासनिक अधिकारी तैनात थे। पूरे परिसर में 24 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे।
12 प्रत्याशियों के लिए 13 नवंबर को हुए मतदान में खींवसर क्षेत्र के 75.66 फीसदी मतदाताओं ने वोट डाले थे। मतदान के बाद नागौर लॉ कॉलेज में दो स्ट्रॉन्ग रूम बनाए गए थे, जहां ईवीएम सुरक्षित रखी गईं थी।
RLP का गढ़ ढहा, भाजपा ने पलटी बाजी
खींवसर सीट को लेकर हमेशा से राजनीति में हलचल रहती आई है। क्योंकि यह सीट हनुमान बेनीवाल का गढ़ मानी जाती रही है। हनुमान बेनीवाल पिछले 15 वर्षों से इस सीट पर अपना वर्चस्व बनाए हुए थे। उनके छोटे भाई नारायण बेनीवाल भी इस सीट से विधायक रह चुके हैं। खींवसर में उनकी पकड़ इतनी मजबूत थी कि इस सीट को RLP का अडिग गढ़ कहा जाता था।
हालांकि चुनाव से पहले हनुमान बेनीवाल ने इस सीट की अहमियत को स्वीकार करते हुए एक बयान दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि इस बार चुनाव जीतना बेहद जरूरी है। अगर RLP विधानसभा में नहीं गई, तो लोग कहेंगे कि हनुमान ने 20 साल मेहनत की, लेकिन अंत में खींवसर की सीट भी खो दी।
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लेकिन चुनावी नतीजों ने हनुमान के सभी प्रयासों को ध्वस्त कर दिया। भाजपा के रेवंतराम डांगा ने न केवल उन्हें हराया, बल्कि यह भी साबित कर दिया कि भाजपा अब खींवसर में भी अपनी ताकत जमा चुकी है।
यहां चरण 1 से लेकर चरण 20 तक के वोट:
1. चरण: (BJP) रेवंतराम डांगा: 6300 (RLP) कनिका बेनीवाल: 4015 (Congress) डॉ रतन चौधरी: 266
2. चरण: (BJP) रेवंतराम डांगा: 12320 (RLP) कनिका बेनीवाल: 8893 (Congress) डॉ रतन चौधरी: 513
3. चरण: (BJP) रेवंतराम डांगा: 18591 (RLP) कनिका बेनीवाल: 14140 (Congress) डॉ रतन चौधरी: 741
4. चरण: (BJP) रेवंतराम डांगा: 24324 (RLP) कनिका बेनीवाल: 18896 (Congress) डॉ रतन चौधरी: 933
5. चरण: (BJP) रेवंतराम डांगा: 29743 (RLP) कनिका बेनीवाल: 24625 (Congress) डॉ रतन चौधरी: 1220
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6. चरण: (BJP) रेवंतराम डांगा: 34269 (RLP) कनिका बेनीवाल: 30224 (Congress) डॉ रतन चौधरी: 1600
7. चरण: (BJP) रेवंतराम डांगा: 38681 (RLP) कनिका बेनीवाल: 36138 (Congress) डॉ रतन चौधरी: 1776
8. चरण: (BJP) रेवंतराम डांगा: 42986 (RLP) कनिका बेनीवाल: 43631 (Congress) डॉ रतन चौधरी: 1990
9. चरण: (BJP) रेवंतराम डांगा: 47614 (RLP) कनिका बेनीवाल: 49216 (Congress) डॉ रतन चौधरी: 2171
10. चरण: (BJP) रेवंतराम डांगा: 55375 (RLP) कनिका बेनीवाल: 53379 (Congress) डॉ रतन चौधरी: 2426
11. चरण: (BJP) रेवंतराम डांगा: 61506 (RLP) कनिका बेनीवाल: 58274 (Congress) डॉ रतन चौधरी: 2704
12. चरण: (BJP) रेवंतराम डांगा: 68228 (RLP) कनिका बेनीवाल: 62195 (Congress) डॉ रतन चौधरी: 3256
13. चरण: (BJP) रेवंतराम डांगा: 73844 (RLP) कनिका बेनीवाल: 65957 (Congress) डॉ रतन चौधरी: 3550
14. चरण: (BJP) रेवंतराम डांगा: 79583 (RLP) कनिका बेनीवाल: 70452 (Congress) डॉ रतन चौधरी: 3819
15. चरण: (BJP) रेवंतराम डांगा: 84592 (RLP) कनिका बेनीवाल: 75285 (Congress) डॉ रतन चौधरी: 4025
16. चरण: (BJP) रेवंतराम डांगा: 91265 (RLP) कनिका बेनीवाल: 80072 (Congress) डॉ रतन चौधरी: 4475
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17. चरण: (BJP) रेवंतराम डांगा: 96765 (RLP) कनिका बेनीवाल: 85456 (Congress) डॉ रतन चौधरी: 4793
18. चरण: (BJP) रेवंतराम डांगा: 102043 (RLP) कनिका बेनीवाल: 89833 (Congress) डॉ रतन चौधरी: 5116
19. चरण: (BJP) रेवंतराम डांगा: 107707 (RLP) कनिका बेनीवाल: 93754 (Congress) डॉ रतन चौधरी: 5407
20. चरण: (BJP) रेवंतराम डांगा: 108402 (RLP) कनिका बेनीवाल: 94532 (Congress) डॉ रतन चौधरी: 5434
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राजनीतिक संघर्ष और संघर्षशील यात्रा
हनुमान बेनीवाल की राजनीति की यात्रा कभी भी आसान नहीं रही। वे 2013 में भाजपा से निष्कासित हो गए थे, जब उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के साथ कई मुद्दों पर संघर्ष किया था। इसके बाद उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा और खींवसर से जीत हासिल की, जो उनके राजनीतिक कौशल का एक अहम हिस्सा माना गया।
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इसके बाद, उनके खास सहयोगी रेवंतराम डांगा ने उन्हें छोड़कर भाजपा जॉइन की और इस बार भाजपा की ओर से वह खींवसर से उम्मीदवार बने। डांगा की यह जीत न केवल उनके राजनीतिक करियर के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ है। बल्कि यह भाजपा की रणनीति की भी सफलता है, जिसने खींवसर में अपना रुतबा कायम किया।
हनुमान बेनीवाल की राजनीतिक विरासत
हनुमान बेनीवाल एक प्रसिद्ध राजनीतिक परिवार से आते हैं। उनके पिता रामदेव बेनीवाल दो बार विधायक रहे हैं और 1977 में कांग्रेस के टिकट पर मुंडवा सीट से चुनाव जीते थे। बाद में, 1985 में उन्होंने लोकदल के तहत विधानसभा में प्रवेश किया। 2008 में परिसीमन के बाद हनुमान बेनीवाल ने भाजपा के टिकट पर खींवसर से विधायक का चुनाव जीता। उनके परिवार का राजनीतिक इतिहास 47 साल पुराना है, जो इस हार के साथ एक बड़े परिवर्तन का संकेत देता है।
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