राजस्थान सरकार ने राज्य में धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा और जबरन धर्म परिवर्तन की घटनाओं को रोकने के लिए ‘राजस्थान अवैध धार्मिक परिवर्तन निषेध अधिनियम, 2025’ को पूर्ण रूप से लागू कर दिया है।
गृह विभाग की आधिकारिक अधिसूचना के अनुसार यह कानून 29 अक्टूबर 2025 से पूरे प्रदेश में प्रभावी है।
कानून का उद्देश्य और प्रमुख प्रावधान:
कानून का उद्देश्य राज्य में बलपूर्वक, लालच या छलपूर्ण तरीकों से धर्मांतरण को रोकना और धार्मिक सद्भाव एवं व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा करना है। अब कोई भी व्यक्ति स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन करने के लिए कम से कम 60 दिन पहले जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) को लिखित आवेदन देना होगा, जिसमें परिवर्तन का कारण, नया धर्म और किसी बाहरी प्रभाव की अनुपस्थिति का विवरण देना अनिवार्य होगा। डीएम जांच के बाद अनुमति देगा, जिसमें स्थानीय प्रशासन और संबंधित पक्षों की राय ली जा सकती है।
अवैध परिवर्तन की परिभाषा और दंड:
बल, धोखा, अनुचित प्रभाव, लालच या विवाह के बहाने धर्मांतरण अवैध माना जाएगा। ‘लव जिहाद’ जैसी घटनाओं में यदि विवाह का उद्देश्य केवल धर्म परिवर्तन है तो वह परिवार अदालत द्वारा अमान्य घोषित किया जा सकता है। अपराध के प्रकार के अनुसार जेल और जुर्माने का प्रावधान है। सामान्य अवैध परिवर्तन के लिए 3–10 वर्ष जेल और ₹50,000 तक जुर्माना, महिलाओं, नाबालिगों या SC/ST का परिवर्तन करने पर 5–20 वर्ष जेल और ₹1 लाख तक जुर्माना, जबकि दोषी संगठनों की संपत्ति जब्ती। सामूहिक परिवर्तन या दोहराव के मामले में आजीवन कारावास और ₹1 करोड़ तक जुर्माना, संगठन का पंजीकरण रद्द और सरकारी सहायता बंद करने का प्रावधान है।
डीएम प्रारंभिक जांच करेगा और पुलिस एफआईआर दर्ज करेगी। प्रभावित पक्ष 30 दिनों के भीतर अपील कर सकता है।


