न्यूज डेस्क @ जयपुर। Ginger: अदरक- प्राचीन काल से ही मानव समाज के उपभोग की वस्तु रही है।
भारत के लोग अदरक के गुणों से आदिकाल से प्रभावित रहे हैं। हालांकि यह गांठ रूपी मूल विभिन्न भूभागों में किसी न किसी रूप में उपयोगी माना जाता रहा हैं।
आधुनिक विश्लेषण रसायन शास्त्र के अनुसार अदरक में कोई 100 तरह के यौगिक ( कंपाउंड्स ) होते हैं जिनमें मुख्य तौर से जिंजरोल, शोगाओल, जिंजीबेरेन, जिंजरों के साथ कितने ही अन्य पदार्थ होते हैं।
ये पदार्थ हमारे शरीर में किसी न किसी रूप में कोई उपयोगी कार्य करते रहते हैं। इन कार्यों में से एक प्रमुख कार्य शरीर के प्रज्वलन ( इन्फ्लेमेशन ) को कम करना है। दैनिक गतिविधियों, स्वादिष्ट भोजन, मानसिक तनाव और भागदौड़ की जीवन शैली के फलस्वरूप उत्पन्न होने वाला प्रज्वलन शरीर के अस्तित्व के लिए एक बड़ा खतरा होता है।
अदरक के कई यौगिक एंटी ऑक्सीडेंट का कार्य करते हैं जिसमें वे उन नुकसानदेह स्वतंत्र कणों को क्रियाहीन कर देते हैं जो हमारे चयापचन ( मेटाबॉलिज्म ) तथा अन्य शारीरिक कार्यों के फलस्वरूप पैदा होते हैं। सौ के करीब उपस्थित यौगिक तत्वों के कारण अदरक कई तरह के कैंसर रोगों की रोकथाम में भी सहायक होती है।
इस प्रकार अदरक में वायरस विरोधी यौगिक भी होते हैं।जिससे इसके नियमित उपयोग से सामान्य वायरल बुखार शरीर को कम नुकसान पहुंचा पाते हैं।
अदरक के संतुलित एवम् दीर्घकालीन उपयोग से हृदय रोग तथा श्वसन तंत्र के रोग भी या तो होते नहीं या फिर बेहतर नियंत्रण में रहते हैं। इसके अलावा जोड़ों के दर्द, अपचन, मोटापा और उच्च रक्तचाप के नियंत्रण में भी अदरक सहायक होती है।
अदरक आंतों की क्रियाशीलता बढ़ाती है जिसके फलस्वरूप आमाशय जल्दी खाली हो जाता है। यही कारण है कि अदरक उल्टी के उपचार और जी मिचलाने को रोकने में सहायक होती है।
आज कल कुछ ” अति ज्ञानी ” लोग अदरक उपयोग से एसिड रिफ्लक्स रोग से छुटकारा पाने की भ्रांति फैलाते दिखाई देते हैं जो एक नादानी वाली बात है। व्यवहारिक ज्ञान लंबे अनुभव से ही प्राप्त होता है। यहां चुटकी बजाते ही सबकुछ प्राप्त नहीं हो सकता और ऐसी सोच का व्यापक प्रसारण ठीक नहीं होता है।
अदरक, जैसा कि ऊपर बताया गया है उल्टी और जी मिचलाने को रोकती है और आमाशय को शीघ्र खाली करती है परंतु यह एसोफैगस और आमाशय के बीच स्थित वाल्व को भी ढीला करती है इसलिए इसे एसिड रिफ्लक्स रोग में उपयोग नहीं लेना चाहिए। जिसमें यह वाल्व पहले से ही ढीला हुआ होता है और भोजन के उपरांत रात को लेटने के बाद भोजन का कुछ हिस्सा और आमाशय का अम्ल भोजन नली से मुंह तक वापिस आ जाता है जिसके फलस्वरूप छाती में तेज जलन पैदा हो जाती है।
व्यापक अध्ययन बताते हैं कि एक दिन में 4 ग्राम से ज्यादा अदरक का उपयोग नहीं करना चाहिए। यही कोई व्यक्ति रोजाना 6 ग्राम से अधिक अदरक का सेवन करता है तो उसे तीव्र एसिडिटी हो सकती है, हृदय की गति बढ़ सकती है और यदि उसके शरीर में कहीं रक्त स्राव हो रहा है तो उसकी मात्रा बढ़ सकती है।
अदरक का अधिक सेवन हृदय की गति को अनियमित भी कर सकता है और अवसाद ( डिप्रेशन ) को भी बढ़ा सकता है। सदैव याद रखिए कि जीवन में हर फायदे की छाया में नुकसान भी छुपा हुआ अपना मौका तलाश रहा होता है। संतुलित रहिए और संतुलन बनाए रखिए।
लेख- ( डॉक्टर रामावतार शर्मा )