Spotnow news: राजस्थान के सीकर जिले के दिवराला गांव में 37 साल पहले घटित हुए रूप कंवर सती कांड में बुधवार को फैसला सुनाया गया। इस विवादास्पद मामले में 8 आरोपियों को बरी कर दिया गया है। 4 सितंबर 1987 को 18 साल की रूप कंवर अपने पति की चिता पर जलकर सती हो गई थीं, जो भारत में सती होने का अंतिम उदाहरण माना जाता है।
गांव में सती महोत्सव का आयोजन:-
रूप कंवर के सती होने के बाद गांव में उसकी तेरहवीं पर भव्य चुनरी महोत्सव का आयोजन किया गया था, जिसमें लाखों लोग भागीदारी के लिए पहुंचे। इस महोत्सव पर 45 लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की गई थी। यह घटना वैश्विक स्तर पर चर्चित हो गई, क्योंकि 1829 में ब्रिटिश राज के समय सती प्रथा पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।
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जयपुर की सती निवारण स्पेशल कोर्ट का फैसला:-
बुधवार को कोर्ट ने श्रवण सिंह, महेंद्र सिंह, निहाल सिंह, जितेंद्र सिंह, उदय सिंह, नारायण सिंह, भंवर सिंह और दशरथ सिंह को बरी कर दिया। रूप कंवर की शादी 17 जनवरी 1987 को हुई थी। पति माल सिंह की अचानक मृत्यु के बाद, रूप कंवर ने सती होने का निर्णय लिया। गांव में इस घटना का महिमामंडन किया गया, जिसके विरोध में कई सामाजिक संगठनों ने सक्रियता दिखाई।
तत्कालीन मुख्यमंत्री हरिदेव जोशी ने- इस गंभीर घटना पर तत्काल कदम उठाते हुए सती निवारण अध्यादेश जारी किया। 1987 में इसे कानूनी रूप दिया गया, जिसमें सती होने के लिए उकसाने वालों को कठोर दंड का प्रावधान रखा गया। इससे पहले, 31 जनवरी 2004 को 11 आरोपी भी बरी हो चुके थे, क्योंकि अभियोजन पक्ष यह साबित नहीं कर पाया था कि आरोपियों ने महिमामंडन किया था।
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