Spotnow news: न्यूयॉर्क की फेडरल कोर्ट में हाल ही में हुई सुनवाई में भारतीय उद्योगपति गौतम अडाणी और उनके सात सहयोगियों पर अरबों की धोखाधड़ी और रिश्वतखोरी के गंभीर आरोप लगाए गए हैं।
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अमेरिकी यूएस अटॉर्नी ऑफिस ने दावा किया है कि अडाणी ने भारत में सोलर एनर्जी के एक बड़े कॉन्ट्रैक्ट को प्राप्त करने के लिए भारतीय अधिकारियों को 265 मिलियन डॉलर (लगभग 2200 करोड़ रुपये) की रिश्वत दी या देने की योजना बनाई थी।
इस आरोप के बाद अडाणी ग्रुप ने एक आधिकारिक बयान जारी किया है जिसमें इन आरोपों को पूरी तरह से बेबुनियाद बताया गया है। और कहा कि हमारी कंपनी सभी कानूनी प्रावधानों का पालन करने के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
जिन देशों में हम व्यापार करते हैं, वहां की गवर्नेंस, पारदर्शिता और नियमों का पालन करते हुए हम अपने सभी संचालन को विधिक दृष्टिकोण से सही रखते हैं। हम अपने सभी स्टेकहोल्डर्स और कर्मचारियों को आश्वस्त करते हैं कि हम एक कानूनी और जिम्मेदार संगठन हैं, जो हर स्थिति में कानून के अनुरूप काम करता है।
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बयान में यह भी कहा गया कि अमेरिकी न्याय विभाग ने स्वयं माना है कि ये केवल आरोप हैं। और आरोपियों को तब तक निर्दोष माना जाएगा। जब तक उन्हें दोषी साबित नहीं किया जाता। यह मामला अमेरिका में इसलिए दर्ज किया गया है। क्योंकि प्रोजेक्ट में अमेरिकी निवेशकों का पैसा शामिल था, और अमेरिकी कानून के तहत उस पैसे को रिश्वत के रूप में देना एक गंभीर अपराध है।
यह मामला अडाणी ग्रुप की कंपनी अडाणी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड और एक अन्य फर्म से जुड़ा हुआ है। 24 अक्टूबर 2024 को न्यूयॉर्क की कोर्ट में यह मामला दर्ज किया गया था। और सुनवाई बुधवार को हुई। इस मामले में गौतम अडाणी के अलावा 7 अन्य लोग शामिल हैं: सागर अडाणी (गौतम अडाणी के भतीजे और अडाणी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड के अधिकारी), विनीत एस जैन, रंजीत गुप्ता, साइरिल कैबेनिस, सौरभ अग्रवाल, दीपक मल्होत्रा और रूपेश अग्रवाल।
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आरोप है कि अडाणी ने अमेरिकी और विदेशी निवेशकों से झूठ बोलकर रिश्वत के पैसे जुटाए। रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार गौतम अडाणी और सागर अडाणी के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट भी जारी किया गया है।
इसी बीच अडाणी ग्रुप ने बुधवार को 20 साल के ग्रीन बॉन्ड की बिक्री से 600 मिलियन डॉलर (लगभग 5064 करोड़ रुपये) जुटाने की घोषणा की थी। हालांकि आरोपों के बाद इस बॉन्ड पेशकश को टालने का निर्णय लिया गया।
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