Spotnow news: राजस्थान की सात विधानसभा सीटों पर उपचुनाव 13 नवंबर को हैं। इस चुनाव में भाजपा की ओर से प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ प्रमुख भूमिका में हैं। आज प्रदेशाध्यक्ष राठौड़ ने इन सवालों के जवाब दिए- किरोड़ीलाल मीणा ने पार्टी को ब्लैकमेल किया है। भाजपा का दौसा में जातिवाद, और वसुंधरा राजे आजकल पार्टी से अलग-थलग हैं।
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बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ ने कहा कि- परीक्षा में विद्यार्थी पूरी मेहनत और अध्ययन के साथ सिलेबस पढ़ता है और परीक्षा देने जाता है, आशा करता है कि उसे सफलता मिलेगी और डिस्टिंक्शन मार्क्स आएंगे। परिणाम की जांच करने वाला उसे नंबर देगा, और फिर परिणाम घोषित होगा।
वसुंधरा राजे आजकल पार्टी से अलग-थलग चलती है
इस पर राठौड़ ने कहा कि वसुंधरा राजे हमारी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं। और वे कभी अलग-थलग नहीं रहीं। उनके पास राष्ट्रीय कार्य होते हैं जरूरी नहीं कि वे हर छोटे कार्यक्रम में उपस्थित रहें। सभी कार्यकर्ता अपने-अपने दायित्व का निर्वहन करते हैं। इसलिए वसुंधरा जी की उपेक्षा नहीं हो सकती
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वे हमारी वरिष्ठ नेता हैं। और उनका पूरा सहयोग, मार्गदर्शन और आशीर्वाद हम सबको मिलता है और मिलता रहेगा। और वसुंधरा राजे ने कहा कि पार्टी में सभी को साथ नहीं रख सकते लेकिन मैंने पूरी कोशिश की है कि सभी को साथ लेकर चलूँ। मेरा समर्थन सभी करते हैं, मुझे कोई दिक्कत नहीं होती।
BJP जातिवाद नहीं करती, तो आपने दौसा की सामान्य सीट पर एसटी उम्मीदवार को टिकट क्यों दिया?
जो लोग आरोप लगा रहे हैं। उन्हें पहले अपने गिरेबान में झांकना चाहिए। उन्होंने भी दौसा में एससी वर्ग को टिकट दिया है। जबकि वे हम पर सवाल उठा रहे हैं। खुद की बात करने के बजाय, उन्हें अपनी स्थिति पर ध्यान देना चाहिए।
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हमने सर्वे के आधार पर एक सक्षम सेवक को टिकट दिया है। क्योंकि हम जनसेवा की बात करते हैं। हम जातिवाद की राजनीति नहीं करते। जिनके अपने घरों में शीशे की दीवारें हैं, उन्हें दूसरों पर पत्थर फेंकने से पहले सोचना चाहिए।
किरोड़ीलाल मीणा ने पार्टी को ब्लैकमेल कर अपने भाई को टिकट दिलाई?
ऐसा बिल्कुल नहीं है। हमारे यहाँ इस तरह की रणनीतियाँ काम नहीं करतीं। पार्टी किसी के दबाव में नहीं आती है। किरोड़ीलाल मीणा ने जब इस्तीफा दिया। तो उन्होंने बताया कि उन्हें जनता पर विश्वास था कि बीजेपी इन सीटों पर जीतेगी। यदि ऐसा नहीं हुआ तो उन्होंने त्यागपत्र देने का निर्णय लिया। लोकसभा चुनाव में हार के कारण उन्होंने यह कदम उठाया।
सीएम ने उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया। इसलिए वे अपने काम में लगे रहे और धीरे-धीरे उनका मनोबल बढ़ा। उन्होंने कभी भी जनहित के काम से परहेज नहीं किया बल्कि लगातार मेहनत करते रहे।
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BJP पर परिवारवाद के आरोप
हमारे यहाँ नेतृत्व का चयन काम के आधार पर होता है। यह नहीं है कि एक के बाद एक नेता सिर्फ परिवार के सदस्य बने रहें। नेहरू के बाद इंदिरा, फिर राजीव, और अब सोनिया, राहुल और प्रियंका गांधी का आना एक परिवारवाद है।
परिवारवाद असल में वही है जैसे मुलायम सिंह के बाद अखिलेश यादव का आना, और फिर उनके परिवार के अन्य सदस्य पत्नी, भाभी और भाई का राजनीति में शामिल होना। यही परिवारवाद है। दक्षिण भारत में भी कई पार्टियों में इसी तरह का परिवारवाद देखा जाता है।
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