राजस्थान न्यूज़: राजस्थान हाईकोर्ट की जोधपुर बेंच ने यह फैसला दिया कि खनन कार्यों के लिए उपयोग की जा रही जमीन को कृषि भूमि नहीं माना जा सकता।
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क्या है मामला:
यह मामला राजस्थान के राजसमंद जिले की जमीन से संबंधित था, जिसे राजस्व रिकॉर्ड में “खनन क्षेत्र” के रूप में दर्ज किया गया था। याचिकाकर्ता ने अदालत से गुहार लगाई कि प्रतिवादी को उनकी सहमति के बिना इस भूमि पर खनन कार्य करने से रोका जाए। इसके साथ ही, राज्य सरकार और खनन विभाग को इस जमीन पर खनन कार्यों की अनुमति देने से रोकने की मांग की गई।
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ट्रायल कोर्ट का आदेश
ट्रायल कोर्ट ने प्रतिवादी और राज्य सरकार द्वारा दायर याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा कि यह भूमि कृषि भूमि नहीं है और मामला सिविल कोर्ट में सुनवाई योग्य है।
हाईकोर्ट का निर्णय
न्यायमूर्ति रेखा बोराना की एकल पीठ ने ट्रायल कोर्ट के आदेश को सही ठहराया। अदालत ने कहा कि राजस्व रिकॉर्ड में यह जमीन खनन उद्देश्य के लिए दर्ज है और इसे कृषि भूमि नहीं माना जा सकता। अदालत ने स्पष्ट किया कि राजस्थान काश्तकारी अधिनियम की धारा 5(24) के तहत कृषि भूमि की परिभाषा में खनन कार्य नहीं आते।
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हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि जब यह स्पष्ट है कि भूमि कृषि उद्देश्य के लिए उपयोग में नहीं है, तो इस पर अधिनियम की धारा 207 लागू नहीं होती। कोर्ट ने सभी पुनरीक्षण याचिकाओं को खारिज कर ट्रायल कोर्ट का निर्णय बरकरार रखा।