Spotnow news: आज सोमवार (4 नवंबर) सेंसेक्स में लगभग 1300 अंक (1.60%) की गिरावट दर्ज की गई है। जो अब 78,400 के स्तर पर कारोबार कर रहा है। वहीं निफ्टी में भी 400 अंक (1.80%) से अधिक की कमी आई है, जो 23,900 के नीचे पहुंच गया है।
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निफ्टी मीडिया और ऑयल एंड गैस इंडेक्स में सबसे ज्यादा गिरावट देखने को मिली है, जहां दोनों में लगभग 3% की गिरावट आई है। रियल्टी इंडेक्स भी लगभग 3% नीचे है। मेटल इंडेक्स में 2.5% की कमी आई है, जबकि ऑटो और सरकारी बैंकों के इंडेक्स में 2% की गिरावट देखी गई है। फार्मा और आईटी इंडेक्स में भी लगभग 1% की कमी दर्ज की गई है।
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आज बाजार में इन 4 कारणों से आयी गिरावट
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों की अनिश्चितता
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में कमला हैरिस और डोनाल्ड ट्रंप के बीच प्रतिस्पर्धा ने वित्तीय बाजारों में अनिश्चितता का माहौल बना दिया है। चुनाव परिणाम 6 नवंबर को आने की उम्मीद है, जिससे वैश्विक निवेशकों की नजरें इस दिशा में हैं। जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार डॉ. वी. के. विजयकुमार के अनुसार चुनावों के नतीजे बाजार में अस्थिरता पैदा कर सकते हैं, जिसके कारण आज भारतीय शेयर बाजार में बड़ी गिरावट देखने को मिल रही है।
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फेडरल रिजर्व की मौद्रिक नीति बैठक
7 नवंबर को अमेरिकी फेडरल रिजर्व की मौद्रिक नीति बैठक है, जिससे बाजार में अनिश्चितता बढ़ गई है। निवेशकों को ब्याज दरों में संभावित कटौती की उम्मीद है। जो भारतीय बाजार को प्रभावित कर रही है। दूसरी तिमाही के कमजोर कॉर्पोरेट नतीजों ने भी बाजार को नीचे लाने में योगदान दिया है। विश्लेषकों का अनुमान है कि निफ्टी ईपीएस वृद्धि वित्त वर्ष 25 में 10% से नीचे जा सकती है, जिससे मौजूदा मूल्यांकन को बनाए रखना चुनौतीपूर्ण हो जाएगा।
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विदेशी निवेशकों की बिकवाली
पिछले एक महीने में विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजार से बड़ी बिकवाली की है। यह प्रवृत्ति स्पष्ट रूप से शेयर बाजार पर असर डाल रही है। जिससे बाजार तेजी से नीचे गिरा है। इसके विपरीत विदेशी निवेशक अब चीन के बाजार में निवेश कर रहे हैं। जहां शेयर बाजार में तेजी देखने को मिल रही है।
ओपेक+ का उत्पादन निर्णय
ओपेक+ द्वारा दिसंबर में उत्पादन वृद्धि को स्थगित करने के निर्णय के चलते तेल की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है। सोमवार को ब्रेंट क्रूड की कीमत $74.28 प्रति बैरल और WTI क्रूड की कीमत $70.69 प्रति बैरल तक पहुंच गई। जो $1 से अधिक की वृद्धि दर्शाता है। यह स्थिति भारतीय बाजार पर भी प्रभाव डाल रही है, खासकर कमजोर मांग और गैर-ओपेक+ आपूर्ति में वृद्धि के कारण।
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