Monday, May 6, 2024
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Nagaur News: नागौर लोकसभा में कम वोटिंग का नुकसान झेल सकती है भाजपा

रिपोर्ट . हेमंत जोशी

Nagaur News:  नागौर. नागौर लोकसभा में मतदान कम होना यही दर्शाता है कि भाजपा के केंद्रीय नेताओं की योजनाओं पर अमल नहीं हुआ है। इस बार मतदाताओं का भी वोटिंग को लेकर उत्साह कम नजर आया।

यदि पिछले चुनावों के आंकडों पर नजर डाली जाये तो स्पष्ट होता है कम वोटिंग से विपक्ष को फायदा मिलता है।

हर बूथ पर 370 वोट बढ़ाने के प्रयास तो धरे रह गए, अपने कोर वोटर से भी भाजपा मतदान नहीं करवा सकी। भाजपा के कार्यकर्ता सिर्फ मोदी के भरोसे बैठे रहे। यह सच है मतदाताओं को घरों से बूथ तक पहुंचाने में राजनीतिक दल कमजोर रहे हैं।

Nagaur News: लोकसभा चुनाव के पहले चरण में 19 अप्रैल को राजस्थान के 12 संसदीय क्षेत्रों में मतदान हुआ। उम्मीद थी कि 2019 के मुकाबले में मतदान का प्रतिशत बढ़ेगा, लेकिन चुनाव आयोग के आंकड़े बताते हैं कि 12 संसदीय क्षेत्रों में करीब 57.87 प्रतिशत ही मतदान हुआ। जबकि पिछले चुनाव में 63.71 प्रतिशत रहा था। यानी गत बार के मुकाबले में छह प्रतिशत मतदान कम हुआ।

नागौर में करीब 5 फ़ीसदी वोटिंग कम हुई है।

नागौर में मतदान के प्रतिशत को बढ़ाने के लिए भाजपा नेताओं ने चुनाव से पहले काफी उत्साह दिखाया। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कुचामन दौरे में दावा किया कि इस बार भाजपा की जीत का अंतर पांच लाख मतों का होना चाहिए। लेकिन गत बार के मुकाबले इस बार 5 प्रतिशत मतदान कम होना बताता है कि भाजपा के कार्यकर्ताओं ने बूथ स्तर पर मेहनत नहीं की।

भाजपा के कार्यकर्ताओं ने 2019 के मुकाबले में कम मेहनत की।

भाजपा के नेता इस सच को स्वीकार करे या नहीं, लेकिन कांग्रेस विचारधारा वाले वोटों का प्रतिशत अच्छा रहा है। यानी जिस मतदाता को कांग्रेस को वोट देना था, उसने अपने साधनों से बूथ पर पहुंच कर वोट दिया। जबकि भाजपा की विचारधारा वाले वोट को भाजपा के कार्यकर्ता घरों से निकलने में ज्यादा सफल नहीं हुए। भाजपा स्वयं को कैडर बेस पार्टी का दावा तो करती है, लेकिन चुनाव में संबंधित उम्मीदवार ही अपने तरीके से बूथ पर एजेंटों को बैठाने का काम करता है।

नागौर के नावा विधानसभा से भाजपा को अच्छी बढ़त मिलने के आसार होने के बावजूद यहां मतदाताओं को बूथ तक नहीं लाया गया।

जबकि प्रत्याशियों ने चुनाव प्रचार में कोई कसर नहीं छोड़ी। नागौर में भाजपा लगातार तीसरी बार जीतती है या नहीं यह तो चार जून को नतीजे आने पर ही पता चलेगा, लेकिन कम मतदान भाजपा के लिए अच्छे संकेत नहीं है।

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