राजस्थान न्यूज़: राजस्थान हाईकोर्ट ने नॉन-आरएएस (राजस्थान प्रशासनिक सेवा) अधिकारियों को भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) में प्रमोशन देने की दिशा में महत्वपूर्ण निर्णय लिया है।
कोर्ट ने आरएएस एसोसिएशन की याचिका को खारिज करते हुए नॉन-आरएएस अधिकारियों की पदोन्नति पर लगी रोक को हटा दिया है, जिससे अब इन अधिकारियों को आईएएस में प्रमोशन मिलने का रास्ता पूरी तरह से साफ हो गया है।
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जानकारी के अनुसार- यह मामला करीब डेढ़ साल पहले 7 जुलाई 2023 को शुरू हुआ था। जब राजस्थान हाईकोर्ट ने आरएएस एसोसिएशन की याचिका पर सुनवाई करते हुए नॉन-आरएएस अधिकारियों को आईएएस में पदोन्नति देने पर अस्थायी रोक लगा दी थी। हालांकि 26 नवंबर 2024 को कोर्ट ने मामले की सुनवाई पूरी की और फैसला रिजर्व किया था, जो अब 5 दिसंबर को जारी किया गया।
आरएएस एसोसिएशन की याचिका खारिज
राजस्थान हाईकोर्ट की खंडपीठ ने जिसमें जस्टिस पंकज भंडारी और जस्टिस शुभा मेहता शामिल थे। आरएएस एसोसिएशन की याचिका को खारिज कर दिया। इसके साथ ही कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि अब नॉन-आरएएस अधिकारियों की आईएएस में पदोन्नति को लेकर कोई कानूनी अड़चन नहीं होगी।
इसके अलावा कोर्ट ने आरएएस एसोसिएशन पर व्यक्तिगत स्वार्थ के चलते याचिका दायर करने और कोर्ट का समय बर्बाद करने का आरोप लगाते हुए 5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया।
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15 प्रतिशत पदों पर नॉन-आरएएस अधिकारियों को पदोन्नति
राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता विज्ञान शाह ने मामले की पैरवी करते हुए कहा कि सरकार ने नियमों के तहत नॉन-आरएएस अधिकारियों को आईएएस में पदोन्नत किया है और यह प्रक्रिया कानूनी रूप से सही है।
उन्होंने बताया कि सरकार के पास यह अधिकार है कि वह आईएएस के 15 प्रतिशत पदों पर नॉन-आरएएस अधिकारियों को पदोन्नति दे सकती है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अब तक किए गए सभी प्रमोशन में सरकार ने इस सीमा का उल्लंघन नहीं किया है और बाकी पदों पर आरएएस अधिकारियों को ही पदोन्नति दी जा रही है।
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आरएएस एसोसिएशन के एडवोकेट बोले- सरकार नियमों के खिलाफ प्रमोशन दे रही
आरएएस एसोसिएशन की ओर से एडवोकेट तनवीर अहमद ने कोर्ट में बहस करते हुए कहा कि राज्य सरकार केवल विशेष परिस्थितियों में ही नॉन-आरएएस अधिकारियों को आईएएस में प्रमोशन दे सकती है। उनका दावा था कि सरकार हर साल पर्याप्त संख्या में आरएएस अधिकारियों के होते हुए भी यूपीएससी को नॉन-आरएएस अधिकारियों के प्रमोशन के लिए सिफारिश भेज रही है, जो नियमों के खिलाफ है।
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उन्होंने यह भी कहा कि द इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस (रिक्रूटमेंट) रूल्स 1954 के तहत राज्य सरकार को यह अधिकार केवल विशेष परिस्थितियों में और जब कोई अधिकारी सिविल सर्विसेज के अन्य अधिकारियों से अधिक योग्य हो, तभी आईएएस में पदोन्नति देने का है।