राजस्थान न्यूज़: डॉक्टर ने AEN, JEN और लाइनमैन के खिलाफ गंभीर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं और कलेक्टर से इच्छा मृत्यु की मांग की है। डॉ. मनीष कुमार सैनी जो झुंझुनूं में लिटिल पब्लिक स्कूल के पास फिजियोथेरेपिस्ट का काम करते है।
राजस्थान न्यूज़: राजस्थान हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: RAS अधिकारियों को IAS में प्रमोशन का रास्ता साफ
इन्होंने कलेक्टर को एक पत्र भेजकर अपनी मानसिक पीड़ा का बताई उन्होंने कहा कि बिजली बिलों के चलते वह अत्यधिक मानसिक तनाव का सामना कर रहे हैं, और विभाग से राहत नहीं मिल रही है।
डॉ. सैनी के मुताबिक उन्होंने पांच महीने पहले सरकारी योजना के तहत 10 किलोवाट का सोलर पैनल स्थापित किया था। ताकि बिजली बिलों में कमी आ सके। हालांकि इसके बावजूद उन्हें भारी-भरकम बिल मिल रहे हैं।
राजस्थान न्यूज़: अशोक गोदारा की हत्या में शामिल आरोपी ने हवालात में किया सुसाइड
जुलाई से लेकर नवंबर तक उनके बिलों की कुल राशि लगभग 1 लाख रुपए पहुंच चुकी है। जुलाई में 19,080 रुपए, अगस्त में 19,797 रुपए, सितंबर में 30,094 रुपए और नवंबर में 31,224 रुपए का बिल आया है।
डॉ. सैनी का कहना है कि उन्होंने बार-बार बिजली विभाग से शिकायत की, लेकिन अधिकारियों ने कोई कार्रवाई नहीं की। इसके अतिरिक्त बिजली विभाग के कर्मचारी उन्हें कनेक्शन काटने की धमकी भी दे रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि विभाग के कर्मचारी भ्रष्टाचार में लिप्त हैं और केवल रिश्वत देने वाले उपभोक्ताओं के मामलों पर ध्यान देते हैं।
राजस्थान न्यूज़: CI कविता शर्मा ने मंत्री किरोड़ीलाल मीणा के खिलाफ दी रिपोर्ट
डॉ. सैनी ने पत्र में यह भी लिखा कि उनकी मासिक आय केवल 20,000 से 25,000 रुपए के बीच है, और इतना भारी बिल भरना उनके लिए संभव नहीं है। उन्होंने कलेक्टर से इच्छा मृत्यु की मांग करते हुए कहा कि उनका मानसिक और आर्थिक बोझ अब असहनीय हो चुका है।
बिजली विभाग ने इस मामले का संज्ञान लिया है और जांच के आदेश दिए हैं। सुपरिटेंडेंट इंजीनियर महेश टीबड़ा ने कहा कि डॉ. सैनी ने पहले अपने कनेक्शन का लोड बढ़वाया था, और इसके कारण उन्हें यह बिल आया है। विभाग ने मीटर रीडिंग में सुधार कर दिया है, और इस मामले की पूरी जांच जारी है।
राजस्थान न्यूज: संस्कृत शिक्षा विभाग में कुल 3,003 पदों पर होगी भर्ती
यह मामला न केवल बिजली विभाग की लापरवाही और भ्रष्टाचार को उजागर करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि किस तरह से सरकारी अधिकारियों की अनदेखी और सिस्टम में व्याप्त समस्याएं नागरिकों को मानसिक और आर्थिक दबाव में डाल सकती हैं।