राजस्थान न्यूज़: भरतपुर जिले के एक चर्चित हत्याकांड में आखिरकार आठ साल बाद इंसाफ मिला। शुक्रवार को जिला न्यायालय संख्या-3 की पीठासीन अधिकारी रेखा भारद्वाज ने महंगाया गांव में हुए युवक विक्रम सिंह की हत्या के मामले में 12 लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई। वहीं एक आरोपी की ट्रायल के दौरान मौत हो चुकी थी, जिस कारण उस पर कार्रवाई नहीं हो सकी।
यह मामला 6 मार्च 2017 का है। महंगाया गांव निवासी करण सिंह ने उद्योगनगर थाने में रिपोर्ट दी थी कि उसका बेटा विक्रम सिंह सुबह करीब 6 बजे गांव की बगीची पर नहाने के लिए निकला था। रास्ते में गांव के ही कुछ लोगों ने उसे घेर लिया और लाठी-डंडों व धारदार हथियारों से जानलेवा हमला कर दिया। घटना की जानकारी गांववालों ने परिजनों को दी, जिसके बाद परिवार मौके पर पहुंचा। विक्रम खून से लथपथ पड़ा था। उसे गंभीर हालत में आरबीएम अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
घटना के बाद पुलिस ने जांच शुरू की और 13 आरोपियों को नामजद किया। केस कोर्ट में पहुंचा और लंबी सुनवाई चली। ट्रायल के दौरान आरोपी हरिप्रसाद की मौत हो गई, जबकि बाकी 12 आरोपियों के खिलाफ सुनवाई पूरी होने पर उन्हें दोषी ठहराया गया।
सरकारी वकील धर्मेंद्र कुमार ने बताया कि कोर्ट में सभी गवाहों के बयान और सबूतों को ध्यान में रखते हुए न्यायाधीश ने प्रेमचंद, मुरारी, भगवान सिंह, कपिल, रामवीर, दिनेश, शिब्बा, पिंटू, जितेंद्र, महेश, हर गोविन्द और रामचरण को दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई।
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