राजस्थान न्यूज़: भारतीय सेना ने 15 जनवरी 2025 को पुणे में आयोजित सेना दिवस परेड के दौरान पहली बार रोबोटिक “म्यूल्स” (चार पैरों वाले अनमैन्ड ग्राउंड व्हीकल, Q-UGVs) का प्रदर्शन किया।
यह परेड पहली बार पुणे में आयोजित की गई थी। इन रोबोटिक म्यूल्स ने सेना की आधुनिकरण की दिशा में हुए प्रयासों को प्रदर्शित किया।
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खतरनाक परिस्थितियों में सैनिकों का साथ देंगे रोबोट
खतरनाक और चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में काम करने के लिए डिज़ाइन किए गए इन रोबोटिक उपकरणों का उपयोग सैनिकों के जोखिम को कम करने के लिए किया जाता है।
इन्हें खड़की के बीईजी और सेंटर परेड ग्राउंड में आयोजित दक्षिणी कमान अलंकरण समारोह में प्रदर्शित किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता लेफ्टिनेंट जनरल धीरज सेठ, जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ, दक्षिणी कमान ने की।
एयरोआर्क द्वारा विकसित एआरसीवी म्यूल
एआरसीवी म्यूल, जिसे नई दिल्ली स्थित एयरोआर्क द्वारा विकसित किया गया है, बहुउद्देश्यीय कार्यों के लिए बनाया गया है। यह परिधि सुरक्षा, संवेदनशील संपत्तियों की सुरक्षा, खतरनाक सामग्री (CBRNE), बम निष्क्रिय करना, और खुफिया जानकारी जुटाने जैसे कार्य कर सकता है।
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मल्टी-यूटिलिटी लेग्ड इक्विपमेंट (MULE) एक उन्नत रोबोट है। जिसे रिमोट कंट्रोल या स्वायत्त रूप से संचालित किया जा सकता है। इसमें कंप्यूटर, बैटरी, सेंसर और गतिशीलता के लिए पैर शामिल हैं, जो इसे बेहद प्रभावी बनाते हैं। यह सीढ़ियों, ढलानों और मलबे से भरे क्षेत्रों में आसानी से चलने की क्षमता रखता है, जिससे इसे कठिन परिस्थितियों में भी उपयोगी बनाया गया है।
100 रोबोटिक म्यूल्स की आपूर्ति
भारतीय सेना को जून 2024 में ऐसे 100 रोबोटिक म्यूल्स की आपूर्ति की गई। जो ऑल-टेरेन ऑपरेशन में सैनिकों की दक्षता और सुरक्षा बढ़ाने के लिए डिजाइन किए गए हैं। ये उपकरण अत्यधिक तापमान -40°C से +55°C तक के बीच काम करने में सक्षम हैं और IP-67 सुरक्षा रेटिंग के साथ पूरी तरह से धूल और पानी प्रतिरोधी हैं।
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एयरोआर्क द्वारा विकसित इस रोबोटिक म्यूल का वजन 51 किलोग्राम है और यह अधिकतम 12 किलोग्राम तक भार उठा सकता है। इसे स्थापित करने में केवल 15 मिनट का समय लगता है।
इसकी बहुउद्देश्यीय उपयोगिता इसे और भी खास बनाती है। इसमें हथियार, नाइट विजन और थर्मल कैमरा जोड़े जा सकते हैं। साथ ही, यह रासायनिक और विकिरण सेंसर से भी लैस किया जा सकता है, जो इसे विविध सैन्य और सुरक्षा कार्यों के लिए उपयोगी बनाता है।
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सेना दिवस परेड के अन्य आकर्षण
सेना दिवस परेड में विभिन्न रेजिमेंटल केंद्रों के आठ दलों ने भाग लिया। इस दौरान उन्नत हथियारों और युद्ध वाहनों का प्रदर्शन भी किया गया।
भारत ने इस साल अपना 77वां सेना दिवस मनाया। जो 1949 में फील्ड मार्शल के.एम. करिअप्पा के भारतीय सेना के पहले कमांडर-इन-चीफ बनने की याद में मनाया जाता है।
“नो योर आर्मी मेला” और महिला अग्निवीर टुकड़ी
समारोह में “नो योर आर्मी मेला” भी आयोजित किया गया, जिसमें सेना की तकनीकी प्रगति को प्रदर्शित किया गया। महिलाओं की अग्निवीर टुकड़ी और विभिन्न सेना टुकड़ियों ने परेड में भाग लिया।
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