राजस्थान न्यूज़: देश के अलग-अलग हिस्सों में 200 से ज्यादा टोल प्लाजा पर बड़े पैमाने पर टैक्स गबन का मामला सामने आया है।
इस धोखाधड़ी में टोल प्लाजा पर नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) के सिस्टम में छेड़छाड़ कर समानांतर सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया जा रहा था। इस गबन का खुलासा उत्तर प्रदेश एसटीएफ ने मिर्जापुर जिले के अतरैला टोल प्लाजा पर छापेमारी के दौरान किया।
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कैसे हो रहा था घोटाला?
मामले में गिरफ्तार तीन आरोपियों ने बताया कि उन्होंने NHAI के सॉफ्टवेयर में समानांतर सॉफ्टवेयर इंस्टॉल किया, जिसके जरिए बिना फास्टैग वाले वाहनों से टोल कलेक्शन में हेरफेर की जा रही थी। इन वाहनों से वसूले गए पैसे का बड़ा हिस्सा सरकारी खजाने में जमा होने के बजाय प्राइवेट अकाउंट्स में चला जाता था।
आरोपियों ने राजस्थान में फुलेरा टोल प्लाजा (जयपुर) शाहपुरा टोल प्लाजा, कादीशहना टोल प्लाजा (AKCC कंपनी), शाउली टोल प्लाजा (एनुवेजन कंपनी) को अपना निशान बनाया था।
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NHAI को सूचना मिलने के बाद इन टोल प्लाजा के सिस्टम को तत्काल बदल दिया गया है।
गबन के पैटर्न का खुलासा
आरोपी आलोक सिंह ने बताया कि उसने टोल प्लाजा मालिकों और कर्मचारियों की मदद से यह सॉफ्टवेयर विकसित किया। यह सॉफ्टवेयर NHAI के सिस्टम जैसा दिखता था। बिना फास्टैग वाले वाहनों से वसूली गई रकम में से 5% असली सॉफ्टवेयर के जरिए दिखाया जाता था ताकि किसी को शक न हो।
एसटीएफ के अनुसार- हर दिन औसतन ₹45,000 का गबन होता था। अब तक यह आंकड़ा ₹3.28 करोड़ तक पहुंच चुका है।
12 राज्यों में सक्रिय नेटवर्क
आरोपियों ने स्वीकार किया कि उन्होंने उत्तर प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, असम, छत्तीसगढ़ समेत 12 राज्यों के करीब 200 टोल प्लाजा पर इस तरह की गड़बड़ी की।
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टोल प्लाजा से बिना फास्टैग के गुजरने वाले वाहनों से वसूली गई रकम का 50% हिस्सा NHAI के खाते में जमा होना चाहिए था, लेकिन हेरफेर के जरिए यह रकम निजी जेबों में चली गई।
आगे की जांच जारी
एसटीएफ ने आरोपियों से पूछताछ के बाद राजस्थान समेत अन्य राज्यों में इस घोटाले की जानकारी संबंधित विभागों को दी है। NHAI ने इनपुट के आधार पर संबंधित टोल प्लाजा के सॉफ्टवेयर और कर्मचारियों की जांच शुरू कर दी है।
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