राजस्थान न्यूज़: हाईकोर्ट ने सोमवार को 11 साल पुराने एकल पट्टा मामले में राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाई।
सरकार ने अदालत से मामले में अतिरिक्त दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए समय मांगा था, जिस पर मुख्य न्यायाधीश एम. एम. श्रीवास्तव ने नाराजगी जाहिर की।
मुख्य न्यायाधीश ने टिप्पणी करते हुए कहा कि “पहले आप सुप्रीम कोर्ट से छह महीने में निपटारा करने का आदेश लेकर आते हैं, और फिर यहां आकर समय मांगते हैं।” अदालत ने स्पष्ट किया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन किया जाना चाहिए और मामले की अगली सुनवाई 19 मार्च को निर्धारित की गई।
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सरकार ने क्लोजर रिपोर्ट पर उठाए सवाल
राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में एक नई याचिका दाखिल कर यह दावा किया कि पूर्व मंत्री शांति धारीवाल और अन्य अधिकारियों को क्लीन चिट देने वाली क्लोजर रिपोर्ट अधूरी और त्रुटिपूर्ण जांच के आधार पर तैयार की गई थी।
सरकार ने इस मामले की निष्पक्ष समीक्षा के लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीश आर. एस. राठौड़ की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति गठित की थी। इस समिति की प्रारंभिक रिपोर्ट में गंभीर अनियमितताओं को उजागर किया गया। रिपोर्ट में कहा गया कि जांच के दौरान महत्वपूर्ण साक्ष्यों और दस्तावेजों की अनदेखी की गई थी।
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राज्य सरकार का अब दावा है कि इस मामले में की गई प्रक्रियात्मक त्रुटियों को सुधारने और भ्रष्टाचार के आरोपों की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के लिए वह आवश्यक कदम उठा रही है।
क्या है पूरा मामला?
29 जून 2011 को जयपुर विकास प्राधिकरण (JDA) ने गणपति कंस्ट्रक्शन के मालिक शैलेंद्र गर्ग को एकल पट्टा जारी किया था। 2013 में परिवादी रामशरण सिंह ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) में इसकी शिकायत दर्ज कराई।
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ACB ने जांच के दौरान तत्कालीन एसीएस जी. एस. संधू, डिप्टी सचिव निष्काम दिवाकर, जोन उपायुक्त ओंकारमल सैनी, शैलेंद्र गर्ग और दो अन्य व्यक्तियों को गिरफ्तार किया। इनके खिलाफ अदालत में चार्जशीट भी दायर की गई।
बढ़ते विवाद के कारण 25 मई 2013 को सरकार ने यह पट्टा निरस्त कर दिया था। 3 दिसंबर 2014 को वसुंधरा राजे सरकार के कार्यकाल में एसीबी ने इस मामले में मुकदमा दर्ज किया और कई आरोपियों से पूछताछ हुई, जिसमें तत्कालीन यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल भी शामिल थे।
हालांकि, जब राज्य में कांग्रेस की सरकार बनी, तो गहलोत सरकार के दौरान एसीबी ने इस मामले में तीन क्लोजर रिपोर्ट अदालत में प्रस्तुत की। इन रिपोर्टों में पूर्व आईएएस जी. एस. संधू, पूर्व आरएएस निष्काम दिवाकर और ओंकारमल सैनी को क्लीन चिट दी गई थी।
अब मौजूदा सरकार ने इस मामले में नए सिरे से जांच करने का फैसला लिया है और हाईकोर्ट में इसकी प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का प्रयास कर रही है। हाईकोर्ट ने इस मामले में अब किसी भी तरह की देरी पर सख्ती दिखाने के संकेत दिए हैं।