Spotnow news: अजमेर में अंजुमन कमेटी के सचिव सरवर चिश्ती ने बहराइच (यूपी) में हुए उपद्रव और मुंबई में बाबा सिद्दीकी की हत्या पर सरकार के प्रति तीखे सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि मुसलमानों को गालियां दी जा रही हैं। और उनके घर (बहराइच) पर चढ़कर हरा झंडा उतारकर भगवा झंडा लहराया जायेगा तो फिर फूल तो बरसेंगे नहीं, जो हुआ, वही होना सही था।
लॉरेंस बिश्नोई जेल को जेल में सुपारी दी जाती है कि नामचीन मुसलमानों को मारना है। ऐसे में बिश्नोई कभी सिखों (सिद्धू मूसेवाला) को मारता है। अगर इस सब में जब तक गवर्नमेंट का हाथ नहीं हो, तो क्या वो ऐसा कर सकता है?
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चिश्ती अजमेर में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह की सेवा करने वाली संस्था ‘अंजुमन सैयद जादगान’ के सचिव हैं और वहाँ जियारत (धार्मिक कार्य) कराते हैं।
सरवर चिश्ती ने 4 मिनट के वीडियो में यह बाते कही-
घर पर चढ़कर हरा झंडा उतारना और धर्म विशेष का झंडा लहराना गलत है। इस हालात में फूलों की बरसात की उम्मीद बेकार है; जो हुआ, वही होना था। बाराबंकी में भी स्थिति यही है, जहाँ हमारे धर्म का अपमान हुआ है।
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पुलिस ने 40 लोगों को गिरफ्तार किया है। हम उनकी इस मुस्तैदी की तारीफ करते हैं। लेकिन क्या हमरी तरफ से किसी देवी-देवताओं के लिए ऐसा किया गया? क्या हम किसी धार्मिक स्थल पर जाकर अपने झंडे लगाते हैं या डीजे बजाकर अभद्र बातें करते हैं?
लॉरेंस बिश्नोई जेल से सुपारियां लेकर नामचीन मुसलमानों और कभी-कभी सिखों को निशाना बना रहा है। क्या यह संभव है बिना सरकार के समर्थन के? यह गंभीर सवाल है—क्या धर्म को इस तरह अपराध का हिस्सा बना देना ठीक है?
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आपने अपने समुदाय को धर्म से हटा कर अपराधी बना दिया है और सांप्रदायिकता को बढ़ावा दिया है। इसके नकारात्मक परिणाम आपको ही भुगतने होंगे। अब समय है कि हम इस स्थिति पर विचार करें और इसे बदलने के लिए कदम उठाएं।
सरवर चिश्ती का मोहन भागवत पर बयान-
आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत का कहना है कि “हिंदू एक होकर रहो।” मोहन भागवत को ये कहना चाहिए—”देशवासियों एक होकर रहो।” अगर सिर्फ हिंदू एकता की बात होगी। तो यह अन्य समुदायों को भी अपनी आवाज उठाने के लिए मजबूर करेंगे। जैसे हम मुसलमान कह सकते हैं कि सभी अल्पसंख्यक एक होकर रहें।
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चिश्ती का कहना है कि- मुसलमानों में हिम्मत बांटने वालों को पहचान लिया गया है। जब वह आवाज उठाते हैं तो सुनते हैं कि “ये मत बोलो” या “अभी वक्त नहीं है” जो हमारी कौम को बुजदिल बनाता है। हमारी कौम बुजदिल नहीं है; हम किसी को डराने की बात नहीं कर रहे लेकिन क्या डरना जुर्म है?
हमें प्यार और मोहब्बत से रहना है लेकिन यह कठिनाई हमें जीने नहीं दे रही। हमने एफआईआर और विरोध-प्रदर्शन किए हैं लेकिन नुपूर शर्मा जैसे लोग रुकने को तैयार नहीं हैं। हाल ही में जैसलमेर में हमारे गुरु की शान में गुस्ताखी की गई है। अब हम सरकार से पूछते हैं कब तक हम यह सब सहेंगे?
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