Spotnow news: विज्ञान के इस युग में भारत ने भी एक चमत्कार कर दिया है। भारत ने वैज्ञानिक तकनीकी से गोडावण की एक अद्भुत प्रजाति की खोज की है। जानकारी मिली है कि जैसलमेर के सुदासरी गोडावण ब्रीडिंग सेंटर में आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन से पहला गोडावण चूजा पैदा हुआ। जिससे भारत दुनिया का पहला ऐसा करने वाला देश बना है।
यह प्रक्रिया गोडावण की जनसंख्या बढ़ाने और संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण साबित होगी। जैसलमेर में गोडावण की कुल संख्या 173 है, जिसमें से 45 ब्रीडिंग सेंटर में हैं।
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जैसलमेर में कृत्रिम गर्भाधान से गोडावण का पहला चूजा
जैसलमेर के सुदासरी गोडावण ब्रीडिंग सेंटर ने एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर पार किया है जहां आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन (एआई) के जरिए गोडावण का पहला चूजा पैदा हुआ है। यह उपलब्धि भारत को इस तकनीक में अग्रणी बनाती है और स्पष्ट करती है कि देश संरक्षण के प्रयासों में नए आयाम स्थापित कर रहा है। गोडावण जिसे “ह्यूबारा बस्टर्ड” भी कहा जाता है लुप्तप्राय स्थिति के कारण संरक्षित किया जाना आवश्यक है।
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वैज्ञानिक प्रयासों का सफल परिणाम
टोनी नाम की मादा गोडावण ने 24 सितंबर को अंडा दिया जिसे ब्रीडिंग सेंटर में सुरक्षित रखा गया। इसके लिए 20 सितंबर को सुदा नामक मेल गोडावण से स्पर्म एकत्र किया गया। 22 दिन बाद 16 अक्टूबर को अंडे से चूजा बाहर निकला जो वैज्ञानिकों की मेहनत और डेजर्ट नेशनल पार्क के अनुकूल वातावरण का परिणाम है। यह प्रजनन तकनीक गोडावण के लिए एक नई आशा प्रदान करती है।
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संरक्षण की दिशा में एक नया कदम
जैसलमेर में गोडावण की कुल संख्या 173 है जिनमें से 128 गोडावण फील्ड में हैं और 45 ब्रीडिंग सेंटर में रखे गए हैं। DFO आशीष व्यास के अनुसार यह चूजा गोडावण के संरक्षण के प्रयासों में एक सकारात्मक कदम है। इसे “एआई” नाम देने की योजना है ताकि यह सफल प्रयोग का प्रतीक बन सके और भविष्य में गोडावण के संरक्षण में मदद कर सके।
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