Monday, November 25, 2024
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Food and Health: अनियंत्रित भूख के कारण और निवारण

डॉक्टर रामावतार शर्मा

अनावश्यक खाना शरीर को कर सकता है कमजोर

  Food And Health : डॉक्टर रामावतार शर्मा। कितने ही लोग जो टीवी देखते समय, पार्क में बातचीत के दौरान या फिर यों ही फुर्सत के पलों में चिप्स, कुकीज, भुजिया आदि के पूरे पैकेट को पता नहीं कब समाप्त कर देते हैं।

आवश्यकता से अधिक भोजन है नुकसानदाई 

हर मनुष्य की आवश्यकता से अधिक भोजन ग्रहण करने की आदत या संभावना हो सकती है, परंतु यदि ऐसी स्थिति रोजाना बनी रहने लगती हो तो यह एक असामान्य स्थिति है। जिसका उपचार और निवारण होना चाहिए, वरना मोटापा और अन्य कई संबंधित रोग शरीर में विकसित होने का अंदेशा होने लगता है।

Food And Health :   आवश्यकता से अधिक भोजन करने की अपनी आदत के बारे में जागरूकता और स्वीकारोक्ति बहुत महत्वपूर्ण होती है। ऐसा होने पर अगली बार आप अपनी आदत पर लगाम लगाने का प्रयास कर सकते हैं। अधिक भोजन वह मात्रा होती है जो आप अपने शारीरिक श्रम की आवश्यकता से अधिक ग्रहण करते हो और यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में विभिन्न हो सकती है। इसके अलावा भोजन की गुणवत्ता और व्यक्ति की पाचन क्रिया का भी महत्वपूर्ण योगदान होता है। कार्बोहाइड्रेट और कैलोरी से भरपूर भोजन यदि प्रोटीन और रेशे युक्त भोजन की तुलना में मात्रा में कम भी होगा तो भी नुकसानदायक होगा।

      अधिक भोजन से आप आलसी, चिड़चिड़े, थके हुए  महसूस कर सकते हैं। इसके अलावा रात को तेजाब और भोजन के एक अंश के आमाशय के वापिस ऊपर की तरफ आने से पेट में जलन, गैस, फुलावट और जी मिचलाना आदि हो सकते हैं। कई लोग अत्यधिक भोजन के बाद हीन भावना से भी ग्रसित हो जाते हैं, भयभीत या अचंभित भी हो सकते हैं। कितने ही लोग बस यों ही अधिक भोजन कर लेते है क्योंकि उनमें भोजन को लेकर कई जाग्रत भाव नहीं होता है।

भोजन हमारे शरीर की ऊर्जा के लिए है, स्वाद के लिए नहीं 

     कुछ लोग यदि परेशान, तनावग्रस्त या भयभीत हों तो वे भोजन में सुरक्षा तलाशते हैं इसलिए वे भय को दबाने या फिर आनंद की प्राप्ति के लिए अधिक भोजन ग्रहण करने लगते हैं। यह एक गंभीर स्थिति है क्योंकि इसके चलते मोटापा, मधुमेह और ह्रदय रोग के अलावा कई अन्य रोग भी शरीर में विकसित हो सकते हैं। चूंकि आज के समय मानव समूह के एक बड़े वर्ग को चौबीस घंटे और सातों दिन भोजन उपलब्ध है तो ऐसे में कई लोग कभी भी, कितनी ही बार और कितनी ही मात्रा में भोजन ग्रहण करने लगे हैं।

ऐसे में हमें चाहिए कि घर में सिर्फ स्वास्थ्यकारक भोजन ही उपलब्ध रहे। मिठाई, जंक भोजन, भुजिया आदि की खरीददारी बहुत नियंत्रित मात्रा में हो होनी चाहिए। मिठाई जिन लोगों की मानसिक कमजोरी हो उन्हें अस्सी प्रतिशत डार्क चॉकलेट का टुकड़ा मुंह में रखना चाहिए ताकि मीठा खाने की प्रवृति नियंत्रित रहे।

     थाली में भोजन की मात्रा अत्यधिक नहीं परोसें, क्योंकि अधिकतर लोग परोसा गया भोजन पूरी मात्रा में समाप्त करने के आदी होते हैं। इसी तरह बोरियत की स्थिति में खीरा, ककड़ी, टमाटर या कोई फल ग्रहण करें वरना भुजिया का पूरा  पैकेट कब उड़नछू हो जायेगा आपको पता ही नहीं चलेगा। भोजन सदा सचेतन भाव ( माइंडफुलनेस ) से करना चाहिए। टीवी, मोबाइल आदि बंद या म्यूट होने चाहिएं। घर परिवार की बातें, व्यापारिक वार्तालाप, बच्चों की समस्याओं आदि पर कभी भी भोजन के वक्त बातचीत नहीं होनी चाहिए। बेहतर तो होगा कि भोजन के वक्त बीस पच्चीस मिनट के लिए चुप ही रहें। इन स्थितियों में आप की भूख सदा प्राकृतिक होगी और भोजन लाभकारी भी होगा।

      यह भी देखा गया है कि सामूहिक भोजन या सामाजिक भोजन आवश्यकता से अधिक परोसा जाता है और अधिक ही खाया जाता है। इसके अलावा यदि नींद की समस्या लगातार बनी रहे तो भूख के हार्मोन्स अधिक मात्रा में स्त्रावित होने लगते हैं जिसके फलस्वरुप भी भूख अधिक लगती है विशेषकर रात्रि काल में। भूख नियंत्रण और भोजन की गुणवत्ता अच्छे स्वास्थ्य की तरफ पहले कदम होते हैं। इसकी जानकारी के लिए समय समय पर किसी अनुभवी चिकित्सक या डायटिशियन की सलाह उपयोगी हो सकती है।

(यह लेख जयपुर के वरिष्ठ चिकित्सक और पत्रकार डॉक्टर रामावतार शर्मा की ओर से spotnow के पाठकों के लिए लिखा गया है।)

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