30 साल से जिले की आस में कुचामन वासी
कुचामन जिला बने: कुचामनसिटी. कुचामन में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के दौरे पर एक बार फिर कुचामन को जिला बनाने की मांग उठी है। कांग्रेस सरकार के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कुचामन को अलग बनाने की घोषणा की थी, लेकिन अधिसूचना जारी होने से पहले ही आचार संहित लागू हो गई। जिसके चलते कुचामन जिला नहीं बन सका।
अब क्षेत्रवासियों को भाजपा की सरकार से उम्मीद है कि कुचामन को नया जिला बनाया जाए।
एजुकेशन और इंडस्ट्री से लेकर टूरिज्म में भी आगे
प्रदेश में कुचामन एजुकेशन सेक्टर में आगे बढ़ रहा है। खास तौर पर सैन्य शिक्षा के लिए यह जाना जाता है। यहां के स्कूलों और कोचिंग संस्थानों में 1 लाख से अधिक बच्चे अध्ययनरत हैं। जिनमें ज्यादातर बाहर के हैं।
नमक उत्पादन में नावां टॉप पर
नावां में सालाना 20 लाख टन नमक का उत्पादन होता है। एक लाख से अधिक लोग इस उद्योग से जुड़े हैं। नावां में नमक उत्पादन के लिए 1500 से ज्यादा खारड़ें हैं। नमक रिफाइन के लिए 18 से ज्यादा रिफाइनरियां हैं।
प्रमुख पर्यटन स्थल भी यहां
यहां का सबसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थल कुचामन फोर्ट है। जिसे देखने विदेशी पर्यटक भी आते हैं। हाल ही में सरकार ने यहां पर पांचोता कुंड और जोगेश्वर धाम को पर्यटन स्थल भी घोषित किया है।
जिला स्तर के यह ऑफिस पहले से ही कुचामन में
- कुचामन जिला बने: कुचामन में जिला स्तर के कुछ ऑफिस पहले से ही हैं। ऐसे में यदि इसे जिला बनाया जाता है तो राजस्व खर्च भी ज्यादा नहीं आएगा।
- कुचामन में एडीएम, एएसपी, एडीजे कोर्ट है। सहायक निदेशक कृषि उपनिदेशक पशुपालन का कार्यालय भी यहां है।
- PWD, PHD, डिस्कॉम, इंदिरा नहर परियोजना के Xen के कार्यालय भी कुचामन में हैं।
- राजस्थान राज्य भंडारण निगम के वरिष्ठ प्रबंधक का कार्यालय भी यहां पर है।
- जिला स्तर के अन्य कार्यालय खोलने के लिए यहां पर्याप्त जमीन हैं। ऐसे में सरकार पर ज्यादा अतिरिक्त भार नहीं आएगा।
सबसे पहले 1992 में उठी मांग
नागौर जिले में अलग नया जिला बनाने की मांग 90 के दशक से उठाई जा रही है। कुचामन से भी यह मांग जोर पकड़ने लगी और आज इसका दावा भी मजबूत है। सबसे पहले 1992 में यहां से जिला बनाने का प्रस्ताव आया।
उस समय मुख्यमंत्री भैरोसिंह शेखावत के सामने यहां के लोगों ने कई बार यह मांग उठाई। इसके लिए कई बार धरने दिए गए। शुरूआत में तो केवल आश्वासन ही मिलते रहे। इसके बाद 1998 में चुनाव हुए तो यह चुनावी मुद्दा भी बना।
प्रदेश में भाजपा से कांग्रेस की सरकार आई और अशोक गहलोत मुख्यमंत्री बने। उनके सामने भी इस मांग को दोहराया गया। जिला बनाओ संघर्ष समिति के लोगों ने इसको लेकर मुख्यमंत्री से मुलाकातें की। इसके बाद यह दौर चलता रहा।
कई बार धरना प्रदर्शन हुए। ज्ञापन सौंपे गए। हर चुनाव में यह मुद्दा उठता रहा, लेकिन कुचामन को जिला बनाने की मांग आज भी अधूरी है।
कुचामन को जिला बनाने के लिए संघर्ष की खास तारीखें
- 1982 में पहली बार विधायक बने हरीश कुमावत कुचामन को जिला बनाने की मांग करते रहे हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री हरिदेव जोशी से भी जिले को लेकर मांग की थी।
- 1990 से लेकर अब तक कई बार कुचामन को जिला बनाने के लिए मांग उठी। लोगों ने धरने दिए और ज्ञापन सौंपे।
- 2006 में 32 दिनों तक जिले की मांग को लेकर बस डिपो पर हस्ताक्षर अभियान चलाया गया।
- 2008 से 2013 तक विधायक महेंद्र चौधरी के साथ मुख्य मंत्री से भी इस बीच कई बार मुलाकात की गई।
- 2017 में संस्कृति जागरण समिति की ओर से जिला यूनिट संगठन का गठन किया गया। जिसने पांच दिन का आमरण अनशन किया।
- इसके बाद 2023 में कांग्रेस की सरकार ने नए जिलों का गठन किया। जिसमें डीडवाना – कुचामन को नया जिला बनाया गया। इसके बाद मुख्यमंत्री ने कुचामन को अलग से जिला बनाने की घोषणा भी की लेकिन इसके बाद कुचामन अलग जिला नहीं बना।