Friday, November 22, 2024
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Spotnow news: खींवसर उपचुनाव: मिर्धा और बेनीवाल के बीच ही रहेगी वर्चस्व की लड़ाई

Spotnow news:  राजस्थान की भजनलाल सरकार के लिए प्रदेश की सबसे चर्चित सीट खींवसर को जीतना एक बड़ी चुनौती है। यह सीट RLP का गढ़ है, जहां हनुमान बेनीवाल पिछले 15 साल से अपना वर्चस्व बनाकर रखे है। इस सीट पर हनुमान समेत उनके छोटे भाई नारायण बेनीवाल भी विधायक रह चुके हैं।

भाजपा और रालोपा से प्रत्याशी चाहे कोई भी रहे लेकिन वर्चस्व की लड़ाई मिर्धा और बेनीवाल के बीच ही रहेगी।  

इस बार हनुमान की पत्नी कनिका बेनीवाल यहाँ से चुनाव लड़ सकती है। खास बात यह है चाहे गहलोत हो या फिर वसुंधरा राजे हर राज में बेनीवाल ने इस सीट पर अपना दबदबा कायम रखा है। अब इन चुनावों मे भाजपा इस सीट पर किसे अपना प्रत्याशी बनाकर खड़ा करती है यह देखने वाली बात रहेगी।

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चुनाव आयोग इस सप्ताह देशभर में खाली हुई विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की घोषणा कर सकता है। जिसमें राजस्थान की 7 विधानसभा सीटें शामिल हैं। जहां नागौर जिले की खींवसर विधानसभा सीट पर उपचुनाव की सबसे अधिक चर्चा है।

यहां मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है। कांग्रेस ने आरएलपी के साथ गठबंधन के अब तक कोई संकेत नहीं दिए हैं। यह सीट खींवसर विधायक हनुमान बेनीवाल के सांसद बनने के बाद खाली हुई है जिससे राजनीतिक परिस्थितियां रोमांचक हो गई हैं।

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खींवसर उपचुनाव: 

भाजपा के यह हो सकते हैं उम्मीदवार:-

रेवंतराम डांगा- खींवसर उपचुनाव के लिए भाजपा में रेवंतराम डांगा का नाम सबसे प्रमुख है। उन्होंने 2023 विधानसभा चुनाव में हनुमान बेनीवाल को कड़ी चुनौती दी थी।  वे सिर्फ 2069 वोटों के मामूली अंतर से हार गए। उनकी इस नजदीकी हार ने उन्हें पार्टी में एक मजबूत स्थिति दिलाई है।

डॉ. ज्योति मिर्धा- भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ. ज्योति मिर्धा भी उपचुनाव के संभावित उम्मीदवारों में शामिल हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में और नागौर विधानसभा सीट से उनकी हार हुई थी। लोकसभा चुनाव के दौरान खींवसर विधानसभा में वे हनुमान बेनीवाल से 7000 वोटों से पीछे रहीं। बावजूद इसके उनकी राजनीतिक पृष्ठभूमि उन्हें एक बार फिर चुनावी मैदान में उतार सकती है।

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कांग्रेस के उम्मीदवार:-

राघवेंद्र मिर्धा- राघवेंद्र मिर्धा जो पार्टी के प्रदेश सचिव हैं। उपचुनाव के लिए एक महत्वपूर्ण नाम हैं। वे पूर्व मंत्री और नागौर विधायक हरेंद्र मिर्धा के बेटे हैं और कांग्रेस के कद्दावर नेता रामनिवास मिर्धा के पोते भी हैं। जो उनकी राजनीतिक विरासत को और मजबूत बनाता है।

बिंदु चौधरी- यदि राघवेंद्र के नाम पर सहमति नहीं बनती तो कांग्रेस पूर्व जिला प्रमुख बिंदु चौधरी को पार्टी का उम्मीदवार बना सकती है। बिंदु चौधरी पहले भाजपा में थीं। लेकिन कुछ साल पहले कांग्रेस में शामिल हो चुकी हैं, जो उन्हें एक नया राजनीतिक अवसर प्रदान करता है।

आरएलपी के उम्मीदवार:-

कनिका बेनीवाल- राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी RLP से हनुमान बेनीवाल अपनी पत्नी कनिका बेनीवाल को उम्मीदवार बना सकते हैं। इसके अलावा संभव है की वे एक बार फिर अपने भाई पूर्व विधायक नारायण बेनीवाल को भी मौका दे सकते हैं जो 2019 में पार्टी के लिए महत्वपूर्ण थे। इस प्रकार हनुमान बेनीवाल अपने परिवार के सदस्यों को प्राथमिकता देते नजर आ सकते हैं।

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