Spotnow news: राजस्थान के श्री गंगानगर के सांसद कुलदीप इंदोरा के सवाल पर रेल मंत्री ने जवाब दिया कि रेलवे की कम्बल महीने में एक बार धुलती है।
उन्होंने रेल मंत्री से सवाल किया कि क्या यात्रा के दौरान दिए जाने वाले कंबल को महीने में केवल एक बार धोया जाता है, जबकि यात्री स्वच्छ बिस्तर के लिए पूरा भुगतान कर रहे हैं।
इस पर रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने जवाब देते हुए कहा कि यात्रियों को दिए जाने वाले कंबलों को महीने में एक ही बार धोया जाता है, लेकिन बेडरोल किट में दिए जाने वाली चादर को यात्री कंबल के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं।
मंत्री ने बताया कि यात्रियों को दिए गए लिलन (तोलिया, बेडशीट कवर) को हर बार इस्तेमाल के बाद वाशिंग मशीनों द्वारा धोया जाता है। ट्रेनों में इस्तेमाल करने वाले कंबल आरामदायक और धोने में आसान है, जो यात्री को एक कंफर्टेबल यात्रा का आनंद देते हैं। साथ ही नए लिनन सेट को खरीदते समय बेहतर गुणवत्ता की जांच की जाती है।
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मंत्री ने आगे कहा कि रेलवे द्वारा मशीनीकृत लॉन्ड्री की स्थापना की गई है। जिससे लिनन को स्वच्छ और साफ तरीके से धोकर यात्रियों तक पहुंचाया जा सके। और लॉन्ड्री में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं, जिनके द्वारा हर गतिविधि पर नजर रखी जाती है। और व्हाइटो-मीटर के उपयोग से कपड़े की गुणवत्ता का मापन भी किया जाता है।
माइक्रोबायोलॉजिस्ट के अध्ययन के अनुसार- बैक्टीरिया और ई-कोली जैसे हानिकारक रोगाणुओं का मामूली संचय भी एक सप्ताह के भीतर बढ़ सकता है और गंभीर समस्याएँ उत्पन्न कर सकता है।इस कारण बेडशीट कवर, कंबल और तोलियों को एक सप्ताह में धोना जरूरी होता है।
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