अजमेर दरगाह प्रकरण: कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा सीकर के अपने आवास पर कंग्रेस कार्यकर्ताओं से मुलाकत करने पहुंचे। जहां उन्होंने मीडिया से कहा कि बीजेपी ने जिस आरएसएस के कंधों पर सवार होकर सरकार बनाई, आज उसकी बात ही नहीं मान रहे है।
गोविंद डोटासरा ने बताया कि- मोहन भागवत ने कहा है, राम मंदिर के अलावा मस्जिदों में शिवलिंग ढूंढना गलत है। इन मामलों को ज्यादा हवा देने से देश में अराजकता फैल सकती है। और सभी को हर धर्म का सम्मान करना चाहिए। लेकिन यह बात आज बीजेपी नहीं मान रही, इससे बड़ा अनुचित कार्य क्या होगा? जिस RSS का समर्थन पाकर सत्ता में आए। आज उसी के चीफ मोहन भागवत की बात यह लोग नहीं मान रहे।
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धर्मांतरण कानून पर राजनीति कर रही सरकार
डोटासरा बोले- यह कानून पास नहीं होगा क्योंकि पहले से ही इस तरह के मुद्दों के लिए कानून और संविधान में व्यवस्था मौजूद है। पहले से ही कई कानून लागू हैं। लेकिन सरकार इस तरह के मुद्दों को उठाकर केवल जनता का ध्यान असल समस्याओं से भटकाने का प्रयास कर रही है।
जब वसुंधरा राजे की सरकार थी, तब भी ऐसा कानून लाया गया था। लेकिन उसका परिणाम क्या हुआ? अब वही मुद्दा फिर से उठाकर हिंदू-मुस्लिम के नाम पर राजनीति की जा रही है।
कांग्रेस में पूर्व कैबिनेट मंत्री सालेह मोहम्मद का बयान
कांग्रेस सरकार के पूर्व कैबिनेट मंत्री सालेह मोहम्मद ने कहा कि- जब मोहन भागवत यह कहते हैं कि हर मस्जिद या दरगाह के नीचे मंदिर ढूंढना बंद करें, तो अब उन्हें इस मामले पर अपने भी लोगों को रोकना चाहिए।
सालेह मोहम्मद ने यह भी कहा कि ‘बंटोगे तो कटोगे’ जैसे उकसाने वाले बयान सत्ता तो दिला सकते हैं, लेकिन शांति स्थापित नहीं हो सकती। ऐसे बयान देशहित में नहीं हैं। और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील करता हूं कि वे उन लोगों के खिलाफ जल्द कार्रवाई करें जो देश का माहौल खराब कर रहे हैं।
महाराणा प्रताप सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष का दरगाह पर बयान
महाराणा प्रताप सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजवर्धन सिंह परमार ने एक वीडियो जारी कर बताया कि अजमेर दरगाह हिंदू धर्म का एक पवित्र मंदिर है। आज उन्हें अजमेर पहुंचकर कोर्ट में एक वाद पेश करना था, लेकिन सुरक्षा एजेंसियों ने उन्हें रोका।
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परमार ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को 31 जनवरी 2024 को एक ज्ञापन भेजा था। जिसमें उन्होंने कुछ प्रमुख मांगें रखी थीं। इनमें अजमेर का नाम बदलकर पुष्कर सिटी रखने, पुष्कर में भव्य कॉरिडोर बनाने, अजमेर दरगाह की भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग से जांच करवाने, ढाई दिन के झोपड़े का नाम बदलकर संस्कृत महाविद्यालय का पुनः शुभारंभ करने, और अन्य मांगों को शामिल किया था।
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