राजस्थान न्यूज़: संगीत की दुनिया के दिग्गज और पद्म विभूषण से सम्मानित तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन का सैन फ्रांसिस्को में इलाज के दौरान निधन हो गया। 9 मार्च 1951 को मुंबई में जन्मे जाकिर हुसैन ने तबला वादन को विश्व स्तर पर नई पहचान दिलाई।
राजस्थान न्यूज़: जयपुर उत्कर्ष कोचिंग सेंटर में 9 छात्र-छात्राएं चलती क्लास में बेहोश
संगीत की विरासत से लेकर पद्म विभूषण तक का सफर
जाकिर हुसैन को 1988 में पद्म श्री, 2002 में पद्म भूषण और 2023 में पद्म विभूषण जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों से नवाजा गया। उन्होंने अपने जीवन में भारतीय संगीत को वैश्विक मंचों पर प्रस्तुत किया और कई अनमोल योगदान दिए। तीन बार ग्रैमी अवॉर्ड जीतने वाले जाकिर हुसैन को संगीत की शिक्षा अपने पिता और प्रसिद्ध तबला वादक उस्ताद अल्लाह रक्खा से मिली।
Spotnow job news: राजस्थान सहकारी भर्ती बोर्ड: 1003 पदों पर भर्ती के लिए आवेदन, जानें पूरी जानकारी
अमेरिका में पहला कॉन्सर्ट और शुरुआती संघर्ष
महज 11 साल की उम्र में जाकिर हुसैन ने अमेरिका में अपना पहला कॉन्सर्ट किया। हालांकि उनके शुरुआती दिनों में संघर्ष भी कम नहीं था। ट्रेन के जनरल कोच में सफर करना और फर्श पर सोते वक्त तबले को अपनी गोद में संभालना उनकी जिंदगी के ऐसे किस्से हैं, जो उनकी मेहनत और संगीत के प्रति समर्पण को दर्शाते हैं।
पहला पुरस्कार: 5 रुपए का अनुभव
12 साल की उम्र में पंडित रविशंकर, उस्ताद अली अकबर खान और बिस्मिल्लाह खान जैसे दिग्गजों के सामने प्रस्तुति के बाद जाकिर हुसैन को 5 रुपए इनाम मिले थे। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, “मैंने अपने जीवन में कई पुरस्कार जीते, लेकिन वे 5 रुपए सबसे कीमती थे।”
राजस्थान न्यूज़: डिप्टी सीएम दीया कुमारी अधिकारियों से बोली- इससे अच्छा तो सड़क पर पेंट ही कर दो
सपाट जगह को बना देते थे संगीत का मंच
बचपन से ही जाकिर हुसैन के अंदर हर जगह संगीत खोजने की कला थी। वे किचन के बर्तनों, तवे और थाली पर भी धुन बजाने लगते थे। उनकी यह आदत उन्हें खास बनाती थी।
अंतरराष्ट्रीय मंच पर सम्मान और हॉलीवुड में कदम
जाकिर हुसैन को 2016 में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने व्हाइट हाउस में ऑल स्टार ग्लोबल कॉन्सर्ट के लिए आमंत्रित किया। यह सम्मान पाने वाले वे पहले भारतीय संगीतकार थे। उन्होंने अभिनय में भी हाथ आजमाया और 1983 की ब्रिटिश फिल्म हीट एंड डस्ट और 1998 की साज जैसी फिल्मों में काम किया। हालांकि, उन्होंने अभिनय की बजाय संगीत को ही अपने जीवन का मुख्य उद्देश्य बनाया।
संगीत जगत में अपूरणीय क्षति
जाकिर हुसैन का निधन भारतीय संगीत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनकी कला, संघर्ष और योगदान की विरासत आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।