ऑपरेशन सिंदूर: प्रेस कॉन्फ्रेंस में आज सुबह 10 बजे कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने भारतीय सेना के द्वारा अंजाम दिए गए ऑपरेशन सिंदूर के बारे में जानकारी दी।
पूर्व आर्मी चीफ मनोज मुकुंद नरवणे – पिक्चर अभी बाकी है।
यह ऑपरेशन 6 से 7 मई 2025 की रात 1:05 बजे और 1:30 बजे के बीच भारतीय स्पेशल फोर्सेज द्वारा पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर चलाया गया था।
यह कार्रवाई 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में हुए भीषण आतंकी हमले के जवाब में की गई, जिसमें कई निर्दोष नागरिकों की जान गई थी।
भारतीय सेना ने इस ऑपरेशन के तहत आतंकियों के कुल 9 ठिकानों को सफलतापूर्वक ध्वस्त किया गया। सुरक्षा बलों की इस बड़ी जवाबी कार्रवाई में 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए हैं। मारे गए आतंकियों में लश्कर-ए-तैयबा का एक बड़ा चेहरा हाफिज अब्दुल मलिक भी शामिल था, जो मुरिदके स्थित मरकज तैयबा में हवाई हमले का निशाना बना।
बीबीसी उर्दू की एक रिपोर्ट के अनुसार, जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मौलाना मसूद अजहर ने दावा किया है कि सुभान अल्लाह मस्जिद पर हुए हमले में उसके परिवार के 10 सदस्य और चार नजदीकी साथी मारे गए हैं।

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय सेना ने 9 प्रमुख आतंकवादी प्रशिक्षण कैंपों को निशाना बनाया।
1. सवाई नाला कैंप (मुज़फ्फराबाद, पीओजेके)
यह लश्कर-ए-तैयबा का एक सक्रिय प्रशिक्षण केंद्र था जो नियंत्रण रेखा (एलओसी) से लगभग 30 किलोमीटर भीतर स्थित था। इस कैंप में पहलगाम, गुलमर्ग और सोनमर्ग में हुए हमलों में शामिल आतंकियों को प्रशिक्षण दिया गया था। यह टॉपोग्राफिक रूप से कठिन इलाके में स्थित था, जिससे इसे ट्रेस करना मुश्किल था।


2. बिलाल कैंप (मुज़फ्फराबाद, पीओजेके)
यह जैश-ए-मोहम्मद का स्टेजिंग एरिया था, जहां हथियार, विस्फोटक, और जंगल सर्वाइवल ट्रेनिंग दी जाती थी। यह कैंप आतंकियों को भारत में घुसपैठ से पहले अंतिम तैयारी देने के लिए प्रयोग होता था। यहाँ से सीमापार घुसपैठ की कई साजिशें रची गई थीं।

3. गुलपुर कैंप (कोटली, पीओजेके)
एलओसी से 30 किलोमीटर दूर स्थित यह लश्कर-ए-तैयबा का मुख्य बेस था, जो खासकर रजौरी और पुंछ में सक्रिय आतंकियों का ट्रेनिंग ग्राउंड था। 20 अप्रैल 2023 को पूंछ में हुए हमले और 9 जून 2024 को तीर्थयात्रियों की बस पर हमले के आतंकी इसी कैंप से प्रशिक्षित थे।

4. बरनाला कैंप (भिम्बर, पीओजेके)
यह कैंप एलओसी से केवल 9 किलोमीटर दूर स्थित था। यहाँ आतंकियों को हथियार चलाना, आईईडी बनाना और जंगल में छिपकर लड़ने की ट्रेनिंग दी जाती थी। यह लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद दोनों के लिए साझा कैंप था।

5. अब्बासपुर कैंप (पीओजेके)
एलओसी से 13 किलोमीटर अंदर यह लश्कर-ए-तैयबा का आत्मघाती दस्ते (फिदायीन) ट्रेनिंग कैंप था। इसमें एक बार में लगभग 15 आतंकियों को प्रशिक्षित करने की क्षमता थी। यह कैंप खासतौर से आत्मघाती हमलों के लिए तैयार किए जा रहे आतंकियों के लिए इस्तेमाल होता था।

6. सरजल कैंप (सियालकोट, पाकिस्तान)
यह आतंकी ठिकाना भारत-पाक अंतरराष्ट्रीय सीमा से मात्र 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित था। जम्मू-कश्मीर पुलिस के जवानों की हत्या में शामिल आतंकियों को इसी जगह पर प्रशिक्षण मिला था। इसका सीधा संबंध हालिया आतंकी घटनाओं से था।

7. मेहमूना जाया कैंप (सियालकोट, पाकिस्तान)
यह हिजबुल मुजाहिदीन का एक बड़ा कैंप था, जो कठुआ-जम्मू क्षेत्र में आतंकवाद फैलाने का नियंत्रण केंद्र बना हुआ था। पठानकोट एयरबेस पर हुए हमले की योजना और संचालन इसी कैंप से हुआ था। यह भी अंतरराष्ट्रीय सीमा से केवल 12-18 किमी की दूरी पर स्थित था।

8. मुरीदके का मरकज तैयबा कैंप (पाकिस्तान)
इनका सीधा संबंध 2008 के मुंबई हमलों से है। अजमल कसाब और डेविड हेडली जैसे आतंकियों को यहीं से ट्रेनिंग मिली थी। यह लश्कर-ए-तैयबा का वैचारिक और सैन्य प्रशिक्षण केंद्र माना जाता है।

9. मरकज सुभान अल्लाह (बहावलपुर, पाकिस्तान)
यह जैश-ए-मोहम्मद का मुख्यालय था जो पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगभग 100 किलोमीटर भीतर स्थित था। यहाँ आतंकी भर्ती, ब्रेनवॉशिंग और इंडॉक्ट्रीनेशन की प्रक्रिया चलाई जाती थी। कई शीर्ष आतंकी नेताओं का ठिकाना भी यहीं रहा है।
कर्नल सोफिया कुरैशी ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान किसी भी प्रकार की नागरिक क्षति की कोई रिपोर्ट नहीं है। भारतीय सेना ने हर कदम पर यह सुनिश्चित किया कि निर्दोष नागरिकों को कोई नुकसान न हो।
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