अनूपगढ़ के गांव 9ए के रहने वाले 75 वर्षीय किसान बलवंत सिंह ने एक चौंकाने वाला मामला उजागर करते हुए स्थानीय व्यापारी और उनके साथियों पर धोखाधड़ी से जमीन हड़पने का गंभीर आरोप लगाया है। किसान का कहना है कि इन लोगों ने फर्जी दस्तावेज बनवाकर उनकी जमीन हड़प ली, जिसकी जानकारी उन्हें तब हुई जब उन्होंने दस्तावेज वापस मांगने की कोशिश की।
ऐसे शुरू हुआ विवाद-
बलवंत सिंह के मुताबिक, वे वर्ष 2014 से अनूपगढ़ की नई मंडी में व्यापारी भीमचंद की फर्म के जरिए आढ़त का काम कर रहे थे। 2019 में व्यापारी भीमचंद और उनके बेटे परविंदर कुमार ने उन्हें विश्वास में लेकर एक इकरारनामा गारंटी साइन करवा लिया। इस इकरारनामे में उनकी जमीन का सौदा 15 लाख रुपये में दर्शाया गया था, जिसमें से 14.40 लाख रुपये नकद और चेक के रूप में दिए जाने का जिक्र था।
फर्जी दस्तावेजों से हुआ खेल-
किसान का आरोप है कि उनकी जानकारी और सहमति के बिना 100 रुपये के स्टांप पेपर पर एक फर्जी मुख्तियारनामा (पॉवर ऑफ अटॉर्नी) तैयार कर लिया गया। इस दस्तावेज के जरिए जमीन परविंदर कुमार के नाम ट्रांसफर कर दी गई। इस पूरे प्रकरण में स्टांप विक्रेता रिशु धुआ, केसरचंद, विनोद कुमार और संजय कांबोज को गवाह बनाया गया, जो अब जांच के घेरे में हैं।
पैसे लौटाने के बावजूद नहीं मिली राहत-
बलवंत सिंह ने मई 2024 में व्यापारी को 20 लाख रुपये वापस लौटा दिए और पुराने दस्तावेज तथा एनओसी की मांग की, लेकिन व्यापारी ने टालमटोल शुरू कर दी। मई 2025 में जब किसान ने उप-पंजीयक कार्यालय में जानकारी ली, तो पता चला कि जमीन पहले ही परविंदर कुमार के नाम दर्ज की जा चुकी है।
धमकी और गाली-गलौज के बाद पुलिस में दी शिकायत-
जब किसान ने व्यापारी से इस संबंध में बात की, तो व्यापारी ने उन्हें धमकाया और गाली-गलौज भी की। इसके बाद बलवंत सिंह ने अनूपगढ़ पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई। पुलिस ने इस मामले में भीमचंद, परविंदर कुमार समेत कुल 7 लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी, जालसाजी और आपराधिक साजिश की धाराओं में मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
पुलिस कर रही गहन जांच-
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि मामला गंभीर है और दस्तावेजों व गवाहों की गहनता से जांच की जा रही है। सभी संबंधित पक्षों से पूछताछ की जा रही है।
किसान की प्रशासन से गुहार-
बलवंत सिंह ने प्रशासन से न्याय की गुहार लगाई है और मांग की है कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में किसी और के साथ ऐसा न हो।यह मामला प्रशासन के लिए एक चेतावनी है कि कैसे भरोसे का फायदा उठाकर बुजुर्ग किसानों को उनके ही हक से वंचित किया जा रहा है।
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