Wednesday, July 2, 2025
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राजस्थान का पानी पीने वाला दबाव में आ ही नहीं सकता- उपराष्ट्रपति धनखड़

राजस्थान: पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा था कि राज्यपाल से लेकर न्यायपालिका, उपराष्ट्रपति और लोकसभा स्पीकर तक सभी दबाव में हैं।

उन्होंने कहा कि BJP का लोकतंत्र में विश्वास नहीं है। पिछली बार लोकसभा और राज्यसभा से करीब 150 सांसदों को सस्पेंड कर दिया गया। यह आजादी के बाद पहली बार हुआ कि BJP ने पार्लियामेंट नहीं चलने दी।

जोधपुर में दो दिन पहले अशोक गहलोत ने यह बयान दिया।

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का जवाब – 

मुझे थोड़ी सी चिंता हुई — मेरे स्वास्थ्य की नहीं, मेरे मित्र पूर्व मुख्यमंत्री की, जिन्होंने कहा कि हम दबाव में हैं। राजस्थान की राजनीति में वे मेरे सबसे पुराने मित्र हैं, और मेरे बड़े भारी शुभचिंतक भी हैं, और हमारी पारिवारिक मित्रता भी गहरी है। 

मैं सार्वजनिक रूप से, क्योंकि उन्होंने सार्वजनिक रूप से कहा है, यह कहना चाहता हूँ — वे चिंतामुक्त हो जाएं। मैं न दबाव में रहता हूँ, न दबाव देता हूँ, न दबाव में काम करता हूँ, न दबाव में किसी से काम कराता हूँ

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि यदि राज्य की सरकार केंद्र सरकार के अनुरूप नहीं है तो आरोप लगाना आसान हो जाता है। कई बार दबाव के आरोप लगते हैं, लेकिन मैं किसी के दबाव में नहीं हूं।

उन्होंने कहा कि मैं न किसी पर दबाव डालता हूं, न किसी के दबाव में आता हूं। लोकसभा स्पीकर ओम बिरला दबाव में आ ही नहीं सकते। राजस्थान का पानी पीने वाला व्यक्ति दबाव में आ ही कैसे सकता है? उन्होंने कहा, प्रतिपक्ष दुश्मन नहीं है। वाद-विवाद और संवाद होना चाहिए। अभिव्यक्ति प्रजातंत्र की जान है।

जयपुर में सोमवार को कान्सटीट्यूशन क्लब में पूर्व विधायक संघ के कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति ने यह बयान दिया।

उपराष्ट्रपति ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत 6000 रुपए मिलते हैं, यह एक बड़ी शुरुआत है। साल में करीब 60,000 करोड़ रुपए किसान के पास जाते हैं। 10 करोड़ किसान परिवार हैं, पर सरकार जो किसान को सब्सिडी दे रही है, वह पूरी की पूरी किसान के पास पहुंचे — तो हर किसान परिवार को हर साल इस सब्सिडी के एवज में 30,000 रुपए से ज्यादा मिल सकते हैं।

3 लाख करोड़ का खर्चा सरकार कर रही है — फर्टिलाइज़र सब्सिडी में। वह सीधी किसान को दी जाए तो नेचुरल फार्मिंग, ऑर्गेनिक फार्मिंग — यह निर्णय किसान करेगा। केमिकल्स और पेस्टीसाइड्स से हम बचेंगे, नया तरीका निकलेगा। इसकी ओर हमारी सोच जानी चाहिए।

अमेरिका में जितनी मदद किसान को मिलती है, वह पूरी की पूरी किसान को मिलती है। बीच में कोई बिचौलिया नहीं है, किसी सरकारी तंत्र के माध्यम से नहीं मिलती है। निर्णय किसान करता है — उसे कौन सी खाद खरीदनी है या पशुधन खरीदना है ताकि खाद का भी उपयोग करूं और बाकी भी फायदे हों।

नतीजा क्या है? अमेरिका में जो आम घर है, उसकी जो औसत सालाना आय है — वह किसान परिवार की औसत आय से कम है। किसान परिवार की ज्यादा है।

News Desk
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