Thursday, July 17, 2025
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अजमेर उपभोक्ता अदालत का बड़ा फैसला: ‘विश्व की नंबर वन क्रीम’ का दावा निकला झूठा

अजमेर की उपभोक्ता अदालत में एक बड़ा और उपभोक्ताओं के हित में अहम फैसला सामने आया है। मामला इमामी कंपनी की प्रसिद्ध बोरोप्लस एंटीसेप्टिक क्रीम से जुड़ा है। जिसे लेकर कंपनी ने अपने प्रचार में ‘विश्व की नंबर वन क्रीम, ‘भारत की नंबर वन क्रीम’ और ‘भारत में सबसे अधिक बिकने वाली क्रीम’ जैसे दावे किए थे। इन विरोधाभासी और बिना प्रमाण के किए गए प्रचार को अदालत ने भ्रामक और अनुचित व्यापार व्यवहार की श्रेणी में माना है।

उपभोक्ता ने उठाई आवाज, खोखला निकला दावा-

अजमेर के अधिवक्ता तरुण अग्रवाल ने बोरोप्लस क्रीम के भ्रामक विज्ञापन के खिलाफ उपभोक्ता अदालत में परिवाद दायर किया। उन्होंने बताया कि कंपनी एक ही उत्पाद के लिए अलग-अलग माध्यमों में विरोधाभासी दावे कर रही है—कभी इसे विश्व की नंबर वन क्रीम बताया गया, तो कभी भारत की। वहीं क्रीम के रैपर पर इसे भारत में सबसे अधिक बिकने वाली क्रीम बताया गया।

लीगल नोटिस का भी नहीं मिला जवाब-

अग्रवाल ने कंपनी को लीगल नोटिस भेजकर इन विरोधाभासों को स्पष्ट करने की मांग की, लेकिन कंपनी की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया। अदालत की कार्यवाही के दौरान कंपनी ने भारत में बिक्री के आंकड़ों के आधार पर ‘भारत की नंबर वन क्रीम’ होने का दावा तो किया, लेकिन ‘विश्व की नंबर वन क्रीम’ के दावे पर कोई साक्ष्य या प्रमाण प्रस्तुत नहीं कर सकी।

उपभोक्ता आयोग का सख्त रुख-

राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग अजमेर के अध्यक्ष अरुण कुमावत, सदस्य दिनेश चतुर्वेदी व जयश्री शर्मा ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि बिना किसी अंतरराष्ट्रीय प्रमाण के ‘विश्व की नंबर वन क्रीम’ जैसे दावे भ्रामक विज्ञापन की श्रेणी में आते हैं। उन्होंने कहा कि “बेस्ट” या “अमेजिंग” जैसे सामान्य विशेषण तो स्वीकार्य हो सकते हैं, लेकिन ठोस प्रमाण के बिना इस तरह के दावे उपभोक्ताओं को गुमराह करने वाले हैं।

कंपनी को दिए निर्देश-

  • आयोग ने इमामी को आदेश दिया कि:
  • वह अपने भ्रामक दावों को लेकर सुधारात्मक विज्ञापन जारी करे।
  • भविष्य में बिना प्रमाण के ‘विश्व की नंबर वन क्रीम’ जैसे दावे न करे।
  • परिवादी को 5000 का परिवाद व्यय दे।
  • 25,000 राज्य उपभोक्ता कल्याण कोष में जमा कराए।

उपभोक्ताओं के लिए मिसाल बना यह मामला-

यह निर्णय न केवल उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि यह कंपनियों को यह भी चेतावनी देता है कि वे अपने प्रचार में झूठे या गुमराह करने वाले दावे करने से पहले सावधानी बरतें।

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