जयपुर से शुरू हुए खुलासे ने पूरे राज्य को हिला दिया है। प्राध्यापक (स्कूल शिक्षा) भर्ती परीक्षा-2022 के अर्थशास्त्र विषय का पेपर परीक्षा से पहले ही लीक हो गया था।
इस मामले में एसओजी (स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप) ने शनिवार को चार सरकारी शिक्षकों को गिरफ्तार किया। जिन्होंने कथित रूप से 15 से 20 लाख रुपये देकर प्रश्नपत्र खरीदा और नौकरी पाई।
जयपुर और जोधपुर में पढ़ा लीक पेपर-
गिरफ्तार शिक्षकों में रोशन बांगड़वा और वैदेही मीणा ने जयपुर में, जबकि ओमप्रकाश और पदमा ने जोधपुर में परीक्षा से पहले ही लीक हुआ पेपर पढ़ा था। चारों फिलहाल राजस्थान के सरकारी स्कूलों में प्राध्यापक के पद पर कार्यरत थे। इन सभी ने 15 अक्टूबर 2022 को आयोजित अर्थशास्त्र विषय की परीक्षा दी थी। जिसमें लगभग 6 हजार अभ्यर्थी शामिल हुए थे।
पेपर खरीदा और बन गए सरकारी शिक्षक-
एसओजी की प्रारंभिक जांच में पता चला है कि इन आरोपियों ने लीक पेपर खरीदने के लिए 15 से 20 लाख रुपए की बड़ी रकम खर्च की थी। इसी पेपर के आधार पर परीक्षा में अव्वल आए और सरकारी नौकरी हासिल कर ली। एसओजी की पूछताछ में कई अहम जानकारियां सामने आ रही हैं।
तकनीकी सबूतों से हुआ खुलासा-
एसओजी ने इस मामले में बैंक ट्रांजेक्शन, कॉल डिटेल्स और अन्य तकनीकी साक्ष्य जुटाए हैं। जिनके आधार पर आरोपियों को गिरफ़्तार किया गया। फिलहाल चारों आरोपी 14 जुलाई तक रिमांड पर हैं और उनसे पूछताछ जारी है।
RPSC ने दर्ज कराया मामला-
यह मामला राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) द्वारा अजमेर के सिविल लाइंस थाने में दर्ज करवाया गया था। जांच एसओजी कर रही है। जांच में यह भी सामने आया है कि सिर्फ अर्थशास्त्र ही नहीं, बल्कि सामान्य ज्ञान, हिंदी और शैक्षणिक मनोविज्ञान जैसे विषयों के पेपर भी लीक हुए थे।
कोचिंग संचालक और दलाल भी शामिल-
इस पेपर लीक रैकेट में कोचिंग सेंटर संचालकों, दलालों, और परीक्षा केंद्रों के पर्यवेक्षकों की मिलीभगत की बात सामने आई है। जयपुर, नागौर, जोधपुर, बाड़मेर, बीकानेर और झुंझुनूं से जुड़े कई संदिग्ध कोचिंग संस्थानों की जांच की जा रही है। हालांकि अब तक कोचिंग संचालकों पर कोई सीधी कार्रवाई नहीं हुई है।
बेरोजगारों में आक्रोश, चयन प्रक्रिया सवालों के घेरे में-
पेपर लीक की यह घटना राजस्थान के हजारों मेहनती अभ्यर्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। हर बार परीक्षा से पहले पेपर लीक होना और फिर चयनित उम्मीदवारों पर कार्रवाई, पूरे चयन तंत्र की पारदर्शिता पर सवाल खड़े करता है। युवा वर्ग और अभ्यर्थी अब इस भ्रष्ट व्यवस्था के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
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