नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने बताया कि नागौर की विश्व प्रसिद्ध पान मेथी को राष्ट्रीय मसाला बोर्ड की सूची में शामिल करवाने के बाद अब उसे GI टैग दिलवाने की प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ रही है।
उन्होंने कहा कि वे हर लोकसभा सत्र में इस मुद्दे को उठाते रहे हैं और जिला स्तर पर बनी कमेटी भी लगातार प्रयास कर रही है। इसी कड़ी में मंगलवार, 22 जुलाई को उन्होंने लोकसभा में इस मुद्दे पर प्रश्न पूछा, जिस पर केंद्रीय उद्योग एवं वाणिज्य राज्य मंत्री जितिन प्रसाद ने जानकारी दी कि पान मेथी को GI टैग दिलाने संबंधी आवेदन पर अगली सुनवाई 4 अगस्त 2025 को होगी।

बेनीवाल ने बताया कि जल्द ही वे इस विषय पर केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल से भी व्यक्तिगत रूप से मुलाकात करेंगे। उन्होंने लोकसभा में दिए गए जवाब की प्रति भी साझा की है, जिसमें बताया गया है कि नागौर की कृषि उपज मंडी समिति ने 13 अगस्त 2024 को “नागौरी पान मेथी” के लिए GI टैग हेतु आवेदन किया था। आवेदन की जांच और सुधार प्रक्रिया के बाद अब अंतिम सुनवाई 4 अगस्त को तय की गई है।
GI टैग क्या होता है?
GI टैग यानी Geographical Indication (भौगोलिक संकेतक) किसी खास उत्पाद को उसकी भौगोलिक पहचान के आधार पर दिया जाने वाला प्रमाण होता है। यह टैग बताता है कि कोई वस्तु किसी खास क्षेत्र में ही पारंपरिक तरीके से बनती है या उगाई जाती है और उसकी गुणवत्ता व विशिष्टता उसी स्थान से जुड़ी होती है।
जैसे- दार्जिलिंग चाय, बनारसी साड़ी, या अल्फांसो आम। GI टैग मिलने से उत्पाद को कानूनी सुरक्षा, बाज़ार में अलग पहचान और किसानों या उत्पादकों को आर्थिक लाभ मिलता है।