रिलायंस ग्रुप/अनिल अंबानी: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने आज गुरुवार को देशभर में एक बड़ी कार्रवाई करते हुए अनिल अंबानी के रिलायंस ग्रुप से जुड़ी 50 से ज्यादा कंपनियों और 35 से अधिक लोकेशनों पर एक साथ छापे मारे।
यह कार्रवाई यस बैंक द्वारा दिए गए लोन के दुरुपयोग और उससे जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के तहत की गई।
इस कार्रवाई का सीधा असर शेयर बाजार पर भी देखने को मिला। रिलायंस पावर का शेयर में तेज गिरावट आई और यह करीब 5% लुढ़क गया। इसी प्रकार, रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के स्टॉक्स में भी गिरावट दर्ज की गई।
जांच एजेंसियों के अनुसार, वर्ष 2017 से 2019 के बीच यस बैंक ने रिलायंस ग्रुप की विभिन्न कंपनियों को करीब 3,000 करोड़ रुपए का कर्ज दिया था। प्रारंभिक जांच में यह बात सामने आई है कि इस रकम को योजनाबद्ध तरीके से फर्जी कंपनियों और अन्य सहयोगी ग्रुप संस्थाओं में स्थानांतरित कर दिया गया।
प्रवर्तन निदेशालय को कुछ दस्तावेज़ और इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य भी मिले हैं, जिनसे यह संदेह गहराया है कि यस बैंक के अधिकारियों को इस पूरी प्रक्रिया में कथित रूप से रिश्वत दी गई थी।
इस कार्रवाई का आधार सीबीआई की ओर से दर्ज की गई दो प्राथमिकी (FIRs) और सेबी, नेशनल हाउसिंग बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा व एनएफआरए जैसी संस्थाओं से प्राप्त विस्तृत जानकारी है।
SBI पहले ही कर चुका है ‘फ्रॉड’ घोषित
इस मामले को और गंभीर बनाते हुए, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने हाल ही में रिलायंस ग्रुप की प्रमुख कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCom) और स्वयं अनिल अंबानी को फ्रॉड घोषित किया है। 23 जून 2025 को RCom के लोन अकाउंट को फ्रॉड श्रेणी में डालते हुए, अगले ही दिन इस संबंध में सूचना भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) को भेज दी गई थी।
SBI की रिपोर्ट के अनुसार – 31,580 करोड़ रुपए के लोन में से लगभग 13,667 करोड़ रुपए का इस्तेमाल दूसरी कंपनियों के कर्ज चुकाने में और 12,692 करोड़ रुपए रिलायंस ग्रुप की अन्य संस्थाओं को ट्रांसफर करने में किया गया, जो कि वित्तीय नियमों का उल्लंघन है।
आगे क्या?
SBI अब इस मामले में सीबीआई को औपचारिक शिकायत सौंपने की प्रक्रिया में है। वहीं दूसरी ओर, अनिल अंबानी के खिलाफ नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT), मुंबई में व्यक्तिगत दिवालियापन (पर्सनल इन्सॉल्वेंसी) की कार्रवाई पहले से ही लंबित है।