सीकर के त्रिलोकपुरा गांव में गोचर (चारागाह) भूमि के अवैध आवंटन को लेकर विवाद लगातार गहराता जा रहा है। सोमवार को ग्रामीणों ने “चारागाह बचाओ संघर्ष समिति” के बैनर तले जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा और ज़ोरदार विरोध-प्रदर्शन किया।
ग्रामीणों की मांग है कि चारागाह भूमि पर किए गए सभी अवैध आवंटनों को तत्काल प्रभाव से रद्द किया जाए।
हाईकोर्ट में मामला विचाराधीन, फिर भी की जा रही जबरन कार्रवाई-
ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि त्रिलोकपुरा गांव की खसरा संख्या 187 और 231 में दर्ज गोचर भूमि से क्रमश – 4 हेक्टेयर और 6 हेक्टेयर भूमि को दो निजी संस्थानों—मामराज अग्रवाल फाउंडेशन, कोलकाता और अक्षपूर्णा मेडिकल प्रशिक्षण संस्थान, सीकर—के नाम 30 साल की लीज़ पर अवैध रूप से आवंटित किया गया है।
इन संस्थानों की ओर से वहां सीनियर सेकेंडरी स्कूल, आईटीआई, नर्सिंग और डेंटल कॉलेज जैसी इकाइयां खोलने का दावा किया जा रहा है।
ग्रामीणों ने बताया कि यह आवंटन राजस्थान टेनेन्सी एक्ट का खुला उल्लंघन है। जो गोचर भूमि पर किसी भी प्रकार के गैर-चरागाही इस्तेमाल को प्रतिबंधित करता है। वर्ष 2019 में राजस्थान हाईकोर्ट ने इस भूमि आवंटन पर स्थगन आदेश जारी किया था।
बावजूद इसके, 12 जुलाई 2025 को आवंटित भूमि पर जबरन पत्थर चिन्हित करने की कार्रवाई की गई। जिससे ग्रामीणों में भारी आक्रोश फैल गया।
प्रशासन पर पक्षपात के आरोप, पशुपालकों की आजीविका पर संकट-
ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने अवैध गतिविधियों को रोकने की बजाय उनका साथ दिया। उन्होंने कहा कि पूरे त्रिलोकपुरा गांव में सिर्फ यही एक चारागाह भूमि उपलब्ध है, और इसके खत्म होने से पशुधन के लिए चारा-पानी का संकट खड़ा हो गया है।
गोचर बचाओ संघर्ष समिति ने ग्राम पंचायत सुजावास के सहयोग से इस मामले में तेज आंदोलन छेड़ने की चेतावनी दी है। ग्रामीणों का कहना है कि जब तक अवैध आवंटन रद्द नहीं होता और गोचर भूमि बहाल नहीं की जाती, वे संघर्ष जारी रखेंगे।