spoptnow@ Nagaur. Nagaur लोकसभा चुनाव में भाजपा ने डॉ. ज्योति मिर्धा को पार्टी का प्रत्याशी घोषित किया है। इसके बाद अब नागौर की राजनीति में एक बार फिर कुछ बदलाव देखने को मिलेगा। विधानसभा चुनाव हार चुकी मिर्धा अब लोकसभा चुनाव लड़ेगी। जिसमें कांग्रेसी नेता रिछपाल मिर्धा समेत कई कांग्रेसी नेता भी ज्योति के समर्थन में प्रचार की कमान संभालेंगे।
Nagaur लोकसभा चुनाव को लेकर अब सभी प्रमुख पार्टियां अपनी रणनीति बनाने में जुटी हैं। इस दौरान नेताओं के खेमा बदलने का दौर भी सामने आ रहा। कभी कांग्रेसी रहीं ज्योति मिर्धा ने कुछ महीने पहले बीजेपी का दामन थाम लिया था और नागौर विधानसभा से भाजपा प्रत्याशी के रूप में विधानसभा चुनाव भी लड़ा था लेकिन हार का सामना करना पड़ा। राजस्थान के नागौर में पेशे से डॉक्टर ज्योति मिर्धा 2009 में नागौर से लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद बनीं। वो कांग्रेस से विधायक भी रहीं। हालांकि 2014 और 2019 चुनाव में उन्हें शिकस्त का सामना करना पड़ा।
नागौर लोकसभा सीट से कांग्रेस की पूर्व सांसद ज्योति मिर्धा के BJP में शामिल होने के बाद राजनीतिक उठापटक हो रही है। ज्योति कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे नाथूराम मिर्धा की पोती हैं। नाथूराम मिर्धा की कांग्रेस और राज्य की राजनीति में अच्छी पकड़ थी। वह सांसद और विधायक रहे। मिर्धा परिवार दशकों तक मारवाड़ की राजनीति की धुरी भी रहा है। ज्योति ने 2009 में नागौर से लोकसभा चुनाव जीता, लेकिन उसके बाद वह लगातार 2014 और 2019 का लोकसभा चुनाव ओर विधानसभा 2024 का चुनाव भी हार चुकी हैं।
बाबा की पोती है, नागौर की ज्योति
नागौर जिले में कुल 10 विधानसभा सीटें हैं और लोकसभा में 8 विधानसभा सीटें है, मेड़ता और डेगाना राजसमन्द लोकसभा में है। BJP को ज्योति के आने से यहां की कुछ सीटों पर उसे फायदा मिला था। हालांकि ज्योति मिर्धा की पहचान मुख्यतया उनके दादा के नाम से ही है। 2009 में नाथूराम मिर्धा की पोती होने के कारण उन्हें लोगों का भारी समर्थन मिल गया, लेकिन उसके बाद कभी वैसा समर्थन नहीं मिल पाया। 2009 के बाद 2014 और फिर 2019- कांग्रेस ने लगातार तीन बार ज्योति मिर्धा को लोकसभा चुनाव का टिकट दिया। तब उनके समर्थन में यह नारा भी चलाया गया, ‘बाबा की पोती है, नागौर की ज्योति है।’ मगर इस नारे का कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा।
2019 में भाजपा ने किया रालोपा से गठबंधन
Nagaur राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) के हनुमान बेनीवाल के सामने ज्योति मिर्धा को 2019 फिर हार का सामना करना पड़ा।उस समय भाजपा ने बेनीवाल से गठबंधन किया था। नागौर जाट बाहुल्य इलाका है। पिछले कुछ वर्षों में इस इलाके में RLP ने अपनी पकड़ बनाने की काफी कोशिश की है। BJP में जाने के बाद ज्योति हनुमान बेनीवाल को यह कहते हुए चुनौती दे रही हैं कि पिछली बार वह BJP के समर्थन से जीते थे, इस बार अपने अकेले के दम पर जीत कर दिखाएं। ज्योति के दादा का जाट बहुल क्षेत्रों में अच्छा प्रभाव था। ऐसे में अब देखना होगा कि BJP के बैनर तले क्या ज्योति लोकसभा चुनाव में कोई कमाल दिखा सकती हैं? 26 जुलाई, 1972 को नई दिल्ली में जन्मीं ज्योति ने जयपुर के SMS मेडिकल कॉलेज से MBBS की डिग्री ली है।