लेख :- डॉक्टर रामावतार शर्मा
Health News: जयपुर। छाती में दर्द ही हार्ट अटैक को पहचानने का तरीका नहीं हैं कई मर्तबा बिना छाती के दर्द में भी हार्ट अटैक का खतरा रहता है।
Health News : कोविड के बाद अब इस खतरनाक समय काल में हम कैसे जागरूक रहें कि हार्ट अटैक की प्राथमिक अवस्था को पहचान पाएं। जो सामान्य धारणा है वह छाती में दर्द को लेकर बनी हुई है। यहां यह जानना जरूरी है कि ह्रदयघात में छाती में दर्द होना आवश्यक नहीं है।
फिर भी छाती के दर्द के विभिन्न पक्षों को जानना लाभकर हो सकता है। पहला महत्वपूर्ण कदम हृदय के दर्द के बारे में जानना होता है। हार्ट अटैक की संभावना उस दर्द में बहुत बढ़ जाती हैं जब छाती में होने वाला दर्द एक लगातार बने रहनेवाले दबाव के रूप में प्रकट होता है।
इस दर्द में व्यक्ति छाती में भारीपन महसूस करता है मानों वहां सैंकड़ों किलो वजन आ पड़ा हो। साथ में छाती में विचित्र सी जकड़न महसूस होने लगती है मानों सांस ही रुक जायेगा। पीड़ित व्यक्ति जबरदस्त असहजता महसूस करने लगता है। काफी लोगों में यह दर्द छाती के मध्य में प्रारंभ हो कर पीठ के ऊपरी हिस्से, गर्दन, बाएं जबड़े और हाथ में फैल जाता है।
पीड़ित के माथे पर पसीने की बूंदे चमकने लगती हैं और चेहरे की त्वचा में पीलापन नजर आने लगता है। इस तरह का दर्द यदि तीन मिनट या उससे अधिक टिकता है तो व्यक्ति को तुरंत उस अस्पताल ले जाना चाहिए जहां पर हृदय रोग संबंधित आपातकालीन सेवाएं उपलब्ध हैं।
एक और महत्वपूर्ण स्थिति होती है जहां हार्ट अटैक बिना किसी विशेष दर्द के आ सकता है। यह स्थिति अपने आप में बेहद खतरनाक होती है क्योंकि इसमें चिकित्सक और रोगी द्वारा इस बात का पता लगाना काफी मुश्किल होता है कि लक्षणों के नीचे हृदयघात हो रहा है क्योंकि ये लक्षण सामान्य पेट के रोग जैसे होते हैं।
जी मिचलाना, पेट के ऊपरी हिस्से में जलन सी होना, सांस लेने में तकलीफ, सिर का घूमना, तीव्र थकान, माथे पर पसीना और चक्कर आना आदि लक्षण रोगी और चिकत्सक दोनों को भ्रमित कर सकते हैं। यहां यह भी देखा गया है कि पीड़ित व्यक्ति इन लक्षणों को अपने चिकित्सक को कम करके भी बताता है। वह इन सब लक्षणों को पेट की गड़बड़ और गैस की वजह से मानता है। इस स्थिति में चिकित्सक के भ्रमित होने की बड़ी संभावनाएं बन जाती हैं इसलिए रोगी को अपने लक्षण बिना किसी लाग लपेट के वर्णन करने चाहिएं।
याद रखिए कि पसली की चोट या मांसपेशी के संकुचन का दर्द क्षणिक तथा एक विशेष शारीरिक स्थिति में ही होता है जैसे कि सांस लेते वक्त या करवट बदलने या फिर किसी विशेष स्थिति में सोने या बैठने पर। यह दर्द किसी अन्य जगह फैलता भी नही है जैसा कि हृदयघात में देखने को मिलता है।
एसिडिटी के दर्द तथा हृदय के दर्द को लेकर सदा ही असमंजस बना रहता है तथा कई बार यह पता करना बहुत कठिन हो जाता है कि असली कारण क्या है। यह असमंजस कभी कभी रोगी की मृत्यु का कारण भी बन जाता है। यदि आपके पेट के ऊपरी भाग का दर्द एंटासिड, नींबू पानी या जीरा पुदीना पानी आदि के सेवन से पूर्णतया ठीक नहीं हो रहा हो, थोड़ा घूमने से उसमें आराम नहीं आ रहा हो तो आपको तुरंत हृदयरोग विशेषज्ञ के पास जाना चाहिए।
यहां एक मनोवैज्ञानिक स्थिति का सामना अक्सर करना पड़ता है जिसमें रोगी के मन में हार्ट अटैक का भय रहता है जिसके कारण वह अपने लक्षणों को बहुत कम करके बताता है और कष्ट में रहने के बावजूद रोग में सुधार हो रहा बताता है। उसे छद्म विश्वास होता है कि वह एक दो दिन में स्वस्थ हो जायेगा। एक यह धारणा भी फैली हुई है कि हृदय चिकित्सक बेवजह स्टेंट लगा देगा या बड़ा ऑपरेशन कर देगा।
कुछ अपवादों को छोड़ कर ऐसा होता नहीं है परंतु ऐसा विचार उसके आंतरिक भय द्वारा चेतना को धुंधला कर देने के फलस्वरूप उत्पन्न होता है। भय के साए में उपजी यह बहादुरी चिकित्सक को भ्रमित कर देती है। इसको देखते हुए यह जान लेना लाभकारी होगा कि लक्षणों को स्पष्ट तौर पर बताया जाए और अनावश्यक भय और बहादुरी से बचा जाए। जीवन की बदलती परिस्थितियों में हृदयघात की संभावनाएं तेजी से बढ़ रही हैं और कई लोग तो त्वरित मृत्यु का शिकार हो रहे हैं जिन्हे चिकित्सक तक पहुंचने का समय भी नहीं मिल रहा है।
अन्य लोगों में बड़ी जागरूकता की आवश्यकता है वरना अगले एक दो दशक में कोविड 19 में मरने वाले लोगों से ज्यादा लोग हार्ट अटैक से मर सकते हैं। समय इस बारे में परिपक्व हो चला है कि हम हमारी जीवनशैली के बारे में गंभीरता से विचार करें और एक बार फिर प्रकृति के पास वापिस जाने के प्रयास करें। जीवन की अवांछित वासनाओं से दूर हटें और अपनी आवश्यकताओं को सीमित करें।
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