बच्चों की खांसी में घरेलू इलाज भी कारगर
वरिष्ठ चिकित्सक डॉक्टर रामावतार शर्मा @ जयपुर।
Health News: अक्सर देखा गया है कि घरों में किसी बच्चे को खांसी शुरू होती है तो लोग आसपास के मेडिकल स्टोर से जाकर खांसी की दवा ले आते हैं और तुरंत प्रभाव से बच्चे को यह दवा पिलाने लगते हैं।
लोगों का मानना है कि ऐसा करने से बच्चा खांसी की तकलीफ से बच जायेगा। हालांकि यह प्रचलन में है लेकिन लोगों की यह अवधारणा तथ्यों पर आधारित नहीं है।
Health News: बच्चों की खांसी के अधिकतर मामलों में किसी भी खांसी की दवा की आवश्यकता नहीं होती है। देखा गया है कि यहां सामान्य और साधारण घरेलू उपाय ही पर्याप्त होते है बशर्ते लोगों को इसका ज्ञान हो।
बच्चों में खांसी की दवा काली खांसी ( व्हूपिंग कफ ) जैसे रोग में किसी अनुभवी चिकित्सक की सलाह से ही देनी चाहिए। हर समय खांसी जुकाम में खांसी की दवा का उपयोग नहीं करना चाहिए। ऐसी खांसी 5-10 दिनों में अपने आप या फिर सामान्य घरेलू नुस्खों से ठीक हो जाती है जबकि दवा के उपयोग से बच्चा उनिंदा सा रहता है।
रुग्णावस्था में खांसी के कुछ लाभ भी होते हैं। स्वास नली से म्यूकस, बैक्टीरिया, वायरस आदि को शरीर से बाहर निकालने का कार्य खांसी द्वारा होता है। खांसी की दवा इस कार्य में रुकावट डाल कर रोग को बढ़ाती है। यही कारण है कि अमेरिकन एफडीए ने चिकित्सकों को सलाह दी है कि दो साल उम्र तक के बच्चों को खांसी की दवा बिलकुल नहीं लिखें।
अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स की सलाह है कि 4 वर्ष के बच्चों और जहां तक संभव हो 6 वर्ष तक के बच्चों को खांसी की दवा की सलाह नहीं दी जानी चाहिए। यदि उपयोग में लेनी ही पड़े तो खुराक बिल्कुल माप के ली जानी चाहिए। एकेडमी तो होम्योपैथिक दवाओं को भी निषेध मानती है।
अध्ययन इंगित करते हैं कि खांसी की दवा राहत तो कम पहुंचाती हैं और रोग को ज्यादा बढ़ाती हैं। इसके अलावा यदि दवा में कोई सस्ता केमिकल उपयोग में लिया गया हो तो बच्चे का जीवन खतरे में पड़ सकता है।
भारत और अफ्रीका में कई बच्चों की मृत्यु मिलावटी खांसी की दवा से हो चुकी है इस बात को भूलना नहीं चाहिए।
घर में यदि किसी बच्चे को खांसी हो तो सबसे पहले उसके नाक की सफाई की जानी चाहिए। शिशुओं में तो एंटी एलर्जिक दवाओं के उपयोग को अमेरिकन कॉलेज ऑफ चेस्ट फिजिशियन ने उपयुक्त नहीं माना है। इसी तरह दर्द निवारक दवाएं, दवा वाली नाक स्प्रे, कई यौगिक वाली दवाओं का उपयोग भी नहीं होना चाहिए। काली खांसी जैसे रोग में एकल यौगिक डेक्सट्रो मेथोर्फेन का नियंत्रित मात्रा में उपयोग किया जा सकता है। नाक में स्प्रे यदि करनी पड़े तो सामान्य सलाइन स्प्रे सुरक्षित होती है।
बच्चे के कमरे और बिस्तर की सफाई, उसको पर्याप्त मात्रा में पानी और तरल पदार्थों का सेवन, मेंथॉल रब का उपयोग और सामान्य ताप ह्यूमिडीफायर का उपयोग तकरीबन हर बच्चे में किसी भी कफ सिरप से ज्यादा आराम पहुंचाता है। जहां तक शहद का सवाल है तो एक वर्ष की उम्र तक के बच्चों को शहद कभी भी नहीं देना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से कुछ बच्चों में एक जानलेवा रोग बोटुलिस्म हो सकता है।
बड़े बच्चों में आधा चायवाला चम्मच दिन में तीन या चार बार देने से खांसी में राहत मिलती है। खांसी को रोकने की बजाय खांसी पैदा करनेवाली बीमारी का निदान और उपचार महत्वपूर्ण है इसलिए किसी अनुभवी और कुशल चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए।
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