रिफाइनरियों के बॉयलर में चट्टानी कोयले को जलाने के लिए पहले जलाई जा रही है गीली लकडिय़ां
ऑन द स्पॉट स्टिंग ऑपरेशन
नावांशहर से हेमन्त जोशी/अमित जांगिड़ की ग्राउण्ड रिपोर्ट
Rajasthan News: पेड़ लगाओ, पेड़ बचाओ…. पेड़ लगाओ, जीवन बचाओ… सरीखे नारे और पर्यावरण संरक्षण के सभी दावों को खुलेआम खोखला किया जा रहा है। उद्यमी महज अपने निजी स्वार्थ के लिए जंगल का सफाया कर अपना नमक तैयार कर रहे हैं।
इसमें सबसे बड़ी बली दी जा रही है तो वह है हमारे राज्य वृक्ष खेजड़ी की। जिस खेजड़ी की रक्षा के लिए राजस्थान में सैंकड़ों किसानों ने अपनी जान दे दी और आज उसी खेजड़ी को काटकर रिफाइनरियों में कोयले को सुलगाया जा रहा है।
जी हां, सांभर झील के किनारे बसे नावां शहर और नमक औद्योगिक क्षेत्र राजास स्थित दर्जनों नमक की रिफाइनरियों में प्रतिदिन गीली लकडिय़ों की राख हो रही है। यूं तो नमक रिफाइनरियां स्थापित होने से नावां क्षेत्र की हरी भरी भूमी बंजर हो गई है और अब पेड़ कटने से पर्यावरण को बड़ा खतरा हो गया है। पहले झील का सौंदर्य नष्ट करने के बाद अब नमक उद्यमी पेड़ों को कटवा कर पर्यावरण को भी बड़ा नुकसान पहुंचा रहे हैं।
पूरा सरकारी तंत्र सब कुछ जानता है लेकिन किसी ने कार्रवाई की जहमत नहीं उठाई। कारण भी स्पष्ट है कि नमक से होने वाली चांदी की खनक के आगे प्रशासन उनके ही इशारों पर नाच रहा है। वन विभाग ने एकाध बार दिखावे की कार्रवाई की लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। कुछ महिनों पहले तत्कालीन तहसीलदार सतीश राव ने भी रिफाइनरियों से गीली लकडिय़ां जब्त की लेकिन अब स्थिति वही ढाक के तीन पात है। पेड़ काटे जा रहे हैं और लकडिय़ां रातो रात ट्रेक्टर की ट्रॉलियों में भरकर रिफाइनरियों तक पहुंचाई जा रही है। Rajasthan News:
ऐसा नहीं कि यह ट्रॉलियां पुलिस को नहीं दिखती, लेकिन पुलिस भी इनके आगे नतमस्तक है। पूरा सरकारी तंत्र पर्यावरण के नुकसान को आंखे मूंद कर देख रहा है। ऐसा रहा तो कुछ समय में ही हरियाळी से विहीन हो जाएगा नावां क्षेत्र रिफाइनरियों में जलने वाली लकड़ी के वजन और उसके आंकड़ों पर गौर किया जाए तो स्थिति बहुत भयावह है। यह खबर पर्यावरणप्रेमियों और वनरक्षकों के तो रौंगटे खड़े करने वाली है। क्यों कि यह नमक उद्यमी प्रतिदिन करीब 50 पेड़ जितनी गीली लकड़ी जला रहे हैं और यह आंकड़ा यदि एक महिने को देखें तो करीब डेढ हजार पेड़़ जलकर राख हो रहे हैं। और साल का आंकड़ा तो …… आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं कि नमक उद्यमी आखिरकार सफेद नमक बनाने के पीछे कितना काला कारोबार कर रहे हैं।
रिफाइनरियों की पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली टोटल स्कैन पढ़ें
- औसतन ढाई टन का होता है एक पेड़
- प्रतिदिन 1 ट्रॉली लकडिय़ां जलाई जाती है एक रिफाइनरी में
- एक ट्रॉली में आती है 5 टन लकडिय़ां
- नावां में है 25 रिफाइनरी
- औसतन 50 पेड़ प्रतिदिन जला रहे नमक उद्यमी
- एक माह में 1500 पेड़ों की राख बना रहे हैं नमक उद्यमी
Rajasthan News: जिम्मेदार, अफसर झाड़ रहे अपना पल्ला-
रिफाइनरियों में जब लकडिय़ां जलाने के मामले में वन विभाग के रेंजर संदीप शेखावत से बात की उन्होंने बताया कि पिछले दिनों 8 ट्रैक्टर पकड़े थे। उस समय तहसीलदार के साथ संयुक्त कार्रवाई की थी। वन विभाग की जमीन से पेड़ नहीं काटे जा रहे हैं, इसलिए हम कार्रवाई नहीं कर सकते हैं। केवल लकड़ी के अवैध परिवहन की कार्रवाई कर सकते हैं। ज्यादातर पेड़ रेवन्यू लैण्ड से काटे जा रहे हैं तो प्रशासन को ही कार्रवाई करनी चाहिए।
कलक्टर ने कहा- संयुक्त ऑपरेशन चलाकर करेंगे कार्रवाई
इस मामले में डीडवाना-कुचामन जिले के जिला कलक्टर बालमुकुंद असावा से बातचीत की गई। असावा ने बताया कि पूरे मामले की रिपोर्ट लेने के बाद में संयुक्त ऑपरेशन चलाकर सख्त कार्रवाई की जाएगी। पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के मामले में कोई रियायत नहीं दी जाएगी। ——-