घटना सोमवार सुबह 6 बजे की है। महिला घाटी खानपुर से कामां आई थी, और उसके साथ तीन बच्चे दो बेटे और एक बेटी थे। कोसी चौराहा के पास वह दर्द से कराहते हुए कचरे के ढेर पर लेट गई।
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मदद के लिए आगे आई वकील की पत्नी
एडवोकेट संजय ने बताया कि- मेरा घर कोसी चौराहे के पास है। सुबह मैं और मेरी पत्नी सुचित्रा बहन को बस में बैठाने गए थे। सुबह 5 बजे बहन को बस में बैठाने के बाद लौटते वक्त मैंने महिला की कराहने की आवाज सुनी।
उन्होंने बताया कि महिला का प्रसव शुरू हो चुका था। जब वे वहां पहुंचे, तो कुछ लोग मौजूद थे, लेकिन किसी ने मदद नहीं की। सुचित्रा ने आसपास पड़े अखबार और घास-फूस जुटाकर महिला और बच्चे को ढका। प्रसव होने तक उसने महिला को हिम्मत दी।
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संजय ने कहा- मैंने दो बार एम्बुलेंस के लिए 104 नंबर पर कॉल किया, लेकिन कोई रिस्पॉन्स नहीं आया। इसके बाद मैंने अपने दोस्त ओमप्रकाश को फोन किया, जिन्होंने मौके पर एम्बुलेंस भेजी। इस दौरान सुबह 6 बजे बच्चे का जन्म हो गया।
संजय और सुचित्रा ने महिला को कामां अस्पताल पहुंचाया, जहां उसे इलाज दिया गया। महिला और उसके बच्चे की हालत अब ठीक है। एम्बुलेंस तब आई जब डिलीवरी हो चुकी थी।