Spotnow news: राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की 10वीं कक्षा के विज्ञान विषय की कॉपियों की जांच में बड़ी अनियमितता सामने आई है। कई छात्रों ने शिकायत की है कि उनकी उत्तर पुस्तिकाओं को ठीक से जांचा ही नहीं गया और उन्हें मनमाफिक नंबर दे दिए गए।
जब विद्यार्थियों को कम अंक मिले तो उन्होंने पुनर्मूल्यांकन के लिए आवेदन किया जिसके बाद पूरी व्यवस्था की पोल खुल गई।
छात्रों की कॉपियों में एक भी सवाल चेक नही
बारां जिले के तीन छात्रों ने बोर्ड में औपचारिक शिकायत दर्ज करवाई कि उनकी कॉपियां ठीक से जांची नहीं गई थीं। इस पर बोर्ड प्रशासन में हड़कंप मच गया और तुरंत इन कॉपियों की जांच करवाई गई। जांच के दौरान यह सामने आया कि इनमें से एक भी सवाल चेक नहीं किया गया था। बोर्ड ने परीक्षक निमिषा रानी को तलब किया जो अजमेर के भगवानगंज स्कूल में शिक्षिका हैं।
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परीक्षक ने कार्यभार अधिक होने का बहाना बनाया
परीक्षक निमिषा ने बोर्ड को एक लिखित उत्तर दिया। जिसमें उन्होंने स्वीकार किया कि उन्होंने अमूल्यांकित उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन नहीं किया और उस समय कार्यभार अधिक होने के कारण मानसिक तनाव की स्थिति में गलत अंक दे दिए। इसके लिए उन्होंने खेद भी जताया। लेकिन इस मामले में सबसे बड़ा सवाल यह है कि साइंस के दो बंडलों की कॉपियों में लगभग 840 कॉपियों पर संदेह बना हुआ है।
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छात्र ने कहा 0 अंक दिए गए
मयंक नागर एक छात्र ने बताया कि उन्हें विज्ञान में 58 अंक मिले जबकि उनके द्वारा दिए गए सही उत्तरों में से कई को 0 अंक दिए गए थे। यह स्थिति केवल मयंक तक सीमित नहीं है बल्कि अन्य छात्रों को भी इसी प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ा है।
बोर्ड सचिव बोले- परीक्षक की लापरवाही
बोर्ड सचिव कैलाश चंद शर्मा ने कहा कि यदि परीक्षक की ओर से कोई लापरवाही या अनियमितता पाई गई तो इसके लिए कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बताया कि इस मामले को विशेष केस बनाकर शिक्षा निदेशालय को भेजा जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि अगर गलत हुआ तो उचित कार्रवाई की जाएगी।
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इस मामले ने बोर्ड की परीक्षा प्रक्रिया और मूल्यांकन प्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए हैं। जिससे छात्रों और उनके अभिभावकों में असंतोष का माहौल है। बोर्ड प्रशासन को अब इस मुद्दे को गंभीरता से लेना होगा ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।