Sunday, December 22, 2024
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Spotnow news: ब्याज दरें स्थिर: लोन और EMI पर राहत

Spotnow news: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए अपनी ब्याज दरों को 6.5% पर बनाए रखा है। यह लगातार 10वीं बार है जब RBI ने ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। इस स्थिरता का मतलब है कि लोन महंगे नहीं होंगे और आपकी ईएमआई में वृद्धि नहीं होगी।

RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने 7 अक्टूबर को हुई मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की बैठक में ब्याज दरों के स्थिर रहने की जानकारी दी। अगस्त में भी दरों में कोई बदलाव नहीं हुआ था।

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कोरोना के दौरान, RBI ने दो बार ब्याज दरें 0.40% घटाईं। पिछले 10 मीटिंग्स में, 5 बार दरें बढ़ीं, 4 बार स्थिर रहीं, और एक बार 0.50% की कटौती की गई। इससे आर्थिक गतिविधियों में सुधार और उपभोक्ताओं के वित्तीय बोझ में कमी की उम्मीद है।

भारत में ब्याज दरों में संभावित कटौती:-

1.ब्याज दरों में कटौती: जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के डॉ. वी के विजयकुमार ने कहा कि भारत में मार्च 2025 तक ब्याज दरों में 0.50% की कटौती हो सकती है। वर्तमान में रेपो रेट 6.50% है।

2.वैश्विक प्रभाव: वॉलफोर्ट फाइनेंशियल सर्विसेज के विजय भराड़िया ने बताया कि इस कटौती से भारतीय रिजर्व बैंक और अन्य वैश्विक केंद्रीय बैंकों को सॉफ्टर मॉनेटरी स्टांस अपनाने के लिए प्रेरणा मिल सकती है।

3.अमेरिकी फेडरल रिजर्व की कटौती: 18 सितंबर को, अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में 0.5% की कटौती की, जिससे दरें 4.75% से 5.25% के बीच हो गईं। अमेरिका की अर्थव्यवस्था पर इस निर्णय का वैश्विक असर होगा।

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पॉलिसी रेट का महंगाई पर प्रभाव:-

महंगाई से लड़ने का टूल: सेंट्रल बैंक के पास पॉलिसी रेट एक प्रभावी टूल है। महंगाई बढ़ने पर, बैंक पॉलिसी रेट बढ़ाते हैं, जिससे मनी फ्लो कम होता है और महंगाई घटती है।

लोन की लागत: उच्च पॉलिसी रेट से बैंकों के लिए कर्ज महंगा हो जाता है, जिससे ग्राहकों के लिए लोन भी महंगा होता है।

आर्थिक रिकवरी: जब अर्थव्यवस्था कमजोर होती है, सेंट्रल बैंक पॉलिसी रेट कम करता है, जिससे कर्ज सस्ता होता है और मनी फ्लो बढ़ता है।

महंगाई पर RBI का लक्ष्य:- RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने महंगाई को 4% पर लाने का लक्ष्य रखा है। हालांकि, उन्होंने बताया कि सितंबर महीने के महंगाई आंकड़े बढ़े हुए दिख सकते हैं। वर्तमान मैक्रो-इकोनॉमिक मापदंड संतुलित हैं। GDP ग्रोथ की बात करते हुए, उन्होंने कहा कि कारोबारी साल 2025 में यह 7.2% रह सकता है।

महंगाई के आकड़ों अवलोकन:-

1.रिटेल महंगाई: अगस्त में रिटेल महंगाई बढ़कर 3.65% पर पहुँच गई, जबकि जुलाई में यह 3.54% थी। सब्जियों की बढ़ती कीमतों के कारण महंगाई में यह वृद्धि हुई। RBI का महंगाई लक्ष्य 2%-6% के बीच है।

2. थोक महंगाई: जून में थोक महंगाई 3.36% पर पहुँच गई, जो पिछले 16 महीनों में सबसे ऊँचा स्तर था। खाद्य महंगाई मई के मुकाबले 7.40% से बढ़कर 8.68% हो गई। हालांकि, अगस्त में रोज़मर्रा की जरूरत के सामान सस्ते होने से थोक महंगाई घटकर 1.31% पर आ गई, जो चार महीनों का निचला स्तर है।

महंगाई का प्रभाव:- महंगाई का सीधा संबंध खरीदने की शक्ति से होता है। उदाहरण के लिए, यदि महंगाई दर 7% है, तो 100 रुपए की कीमत केवल 93 रुपए रह जाती है। इसलिए, निवेश करने से पहले महंगाई पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है, वरना आपकी धनराशि की वास्तविक वैल्यू कम हो जाएगी।

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