Spotnow news: मुंबई में एक कार्यक्रम के दौरान CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने स्पष्ट किया कि जब सरकार के प्रमुख हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस से मिलते हैं, तो इसका मतलब यह नहीं होता कि कोई गुप्त सौदा हुआ है। उन्होंने कहा “हम राज्य या केंद्र सरकार के मुखिया से बातचीत करते हैं, क्योंकि वे न्यायपालिका के बजट को नियंत्रित करते हैं। अगर हम केवल पत्राचार पर निर्भर रहेंगे, तो काम नहीं चल सकेगा।”
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CJI ने इस बात पर जोर दिया कि ऐसी मीटिंग्स राजनीतिक परिपक्वता का संकेत हैं। उन्होंने कहा कि उनके करियर में कभी भी किसी मुख्यमंत्री ने मुलाकात के दौरान लंबित मामलों पर चर्चा नहीं की। “कोर्ट और सरकार के बीच का प्रशासनिक संबंध न्यायपालिका के काम से अलग है।” उन्होंने बताया कि त्योहारों या शोक के अवसरों पर भी ये मुलाकातें होती हैं। लेकिन इसका न्यायपालिका के काम पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
CJI की स्पीच की प्रमुख बातें:
1. जजों का कार्यभार और सोचने का समय
CJI ने अदालतों में छुट्टियों के सवाल पर कहा कि जजों पर कार्यभार बहुत अधिक होता है और उन्हें सही निर्णय लेने के लिए सोचने का समय चाहिए। उन्होंने उदाहरण दिया कि भारतीय सुप्रीम कोर्ट हर साल 50,000 केस निपटाता है। जबकि अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट एक साल में केवल 181 केस सुनता है।
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2. कॉलेजियम की जिम्मेदारियों का विभाजन
CJI ने बताया कि कॉलेजियम सिस्टम में जिम्मेदारियां केंद्र, राज्य और न्यायपालिका के बीच बंटी हुई हैं। कभी-कभी सहमति नहीं बन पाती। लेकिन इसे राजनीतिक परिपक्वता से सुलझाया जाता है। उन्होंने कहा कि हमें लोकतांत्रिक शासन प्रणाली पर विश्वास करना चाहिए, क्योंकि ये संस्थाएं 75 साल से कार्यरत हैं।
3. सोशल मीडिया का प्रभाव
CJI ने स्वीकार किया कि सोशल मीडिया ने न्यायपालिका के निर्णयों में बदलाव लाया है। उन्होंने जजों को सलाह दी कि उन्हें अपने शब्दों का चयन सावधानी से करना चाहिए। क्योंकि सोशल मीडिया से समाज के विभिन्न वर्गों तक पहुंचने का मौका मिलता है।
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पीएम मोदी का गणेश पूजा में शामिल होना
11 सितंबर को पीएम मोदी CJI चंद्रचूड़ के घर गणेश पूजा में शामिल हुए। इस दौरान मोदी ने आरती में भाग लिया और पारिवारिक माहौल में CJI का स्वागत किया। पीएम ने मराठी पोशाक पहनी थी। जिसमें एक टोपी भी शामिल थी।
पीएम मोदी के इस दौरे के बाद शिवसेना (UBT) नेता संजय राउत ने चिंता जताई कि क्या CJI और पीएम के बीच की दोस्ताना रिश्ते के कारण न्याय की प्रक्रिया प्रभावित होगी।
17 सितंबर को पीएम ने अपने जन्मदिन पर इस विवाद का जवाब देते हुए कहा कि गणेश पूजा में शामिल होने पर कुछ लोग असहिष्णुता दिखा रहे हैं। उन्होंने बताया कि ऐसी प्रतिक्रियाएं एक “बांटों और राज करो” की नीति का हिस्सा हैं, जो ब्रिटिश शासन के समय से चली आ रही है।
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