Spotnow news: कोर्ट ने अजमेर दरगाह को शिव मंदिर बताने वाली याचिका पर 20 दिसंबर को सुनवाएं का फैसला करने के बाद से ही इस मामले की चर्चाएं राजनीतिक गलियारों में होने लगी है।
इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री अशेक गहलोत का भी बयान सामने आया है कि 800 साल पुरानी दरगाह पर कोर्ट में याचिका गलत है।
राजस्थान न्यूज़: अजमेर दरगाह में संकट मोचन महादेव मंदिर होने के दावे पर कोर्ट करेगा सुनवाई
अशोक गहलोत का ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर बयान
अशोक गहलोत ने कहा कि- जिस दरगाह में देश और विदेश से हिन्दू और मुस्लिम दोनों आते है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हो या किसी अन्य पार्टी का नेता जवाहरलाल नेहरू के समय से सभी यहां चादर चढ़ाने आते हैं। अब आप लोग यहां चादर भी चढ़ा रहे हो और आपकी पार्टी के लोग कोर्ट में केस भी चला रहे हैं, यह तो लोगों को गुमराह करने वाली बात है।
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देश अभी आरएसएस और मोदी चला रहे हैं। उनको यह बात करनी चाहिए कि जहां हिंसा होती है वहां विकास नहीं हो पता है। इन लोगों की वजह से ही देश में धर्म के नाम पर राजनीति हो रही है।
गहलोत ने कहा कि हरियाणा चुनाव हो या महाराष्ट्र ध्रुवीकरण के सिद्धांत पर यह लोग हमेशा जीत जाते हैं। और धर्म के नाम पर टिकटे बांटना तो आम बात है।
आरएसएस सबको हिंदू मानती है, इनको तो छुआछूत और भेदभाव मिटने के लिए अभियान चलाना चाहिए। नरेंद्र मोदी की बात तो सभी सुनते है, तो वो बोले कि इस तारीख से सारे भेदभाव खत्म हो जाएंगे।
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आगे उन्होंने कहा कि मैं तो इतना जानता हूं कि 15 अगस्त 1947 के समय इन मामलों में कानून बन गया था, तो अब यहां पहले दरगाह थी? या मंदिर था? इन्हीं बातों में फंसे रहेंगे, तो देश में जो जरुरी मुद्दे हैं जेसे बेरोजगारी, महंगाई, सामाजिक न्याय, अर्थव्यवस्था इन पर बात कब होगी।
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अजमेर दरगाह मामले में शिक्षा मंत्री मदन दिलावर का भी बयान आया है इसमें उन्होंने कहा कि इस मामले में अगर कोर्ट आदेश करेगा, तो खुदाई होगी। और अवशेष निकालने के बाद निर्णय हो जाएगा। इस मामले में अंतिम फैसला न्यायालय का होगा। आज शिक्षा मंत्री कोटा में रामगंज मंडी विधानसभा क्षेत्र में लोगों की समस्याएं सुन रहे थे, उसी दौरान यह बयान दिया गया।
हरविलास शारदा की किताब में शिव मंदिर होने का दावा
कोर्ट को दी गई याचिका में हरविलास शारदा की लिखी हुई, किताब में दावा किया गया है कि दरगाह में मौजूद 75 फीट लंबे बुलंद दरवाजे के निर्माण में मंदिर से जुड़े हुए अवशेष पाए गए हैं। और बताया गया है कि दरगाह में एक गर्भगृह है, जहां शिवलिंग स्थापित था। उस जगह ब्राह्मण परिवारों द्वारा पूजा अर्चना की जाती थी।
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जाने क्या है पूरा मामला?
गुप्ता ने 23 सितंबर को अजमेर की मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अदालत में एक याचिका दायर की थी। जिसमें उन्होंने ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह को श्री संकट मोचन महादेव मंदिर मानने की मांग की थी। इस याचिका में अजमेर दरगाह परिसर को एक हिंदू धार्मिक स्थल के रूप में मान्यता देने की बात कही गई थी। जिसे लेकर उन्होंने अदालत में अपनी आवाज़ उठाई थी। इस दावे के बाद से गुप्ता का कहना है….पूरी खबर पढ़ें
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