Spotnow news: अमेरिका में 2024 के राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की संभावित जीत ने वैश्विक ध्यान खींचा है। इस बीच भारतीय शेयर बाजार में सेंसेक्स 1000 अंक से ज्यादा उछला। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्रंप को उनकी जीत पर बधाई दी और दोनों देशों के रिश्तों को और मजबूत करने की उम्मीद जताई। ट्रंप का दूसरा कार्यकाल भारत के लिए नए अवसर लेकर आ सकता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने डोनाल्ड ट्रंप को जीत पर बधाई देते हुए कहा कि- आपके पिछले कार्यकाल की सफलताओं पर काम करते हुए, मैं हमारी साझेदारी को फिर से सुदृढ़ करने के लिए आपके साथ काम करने के लिए उत्सुक हूं।
उन्होंने यह भी कहा कि वह भारत और अमेरिका के बीच “समग्र वैश्विक और रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने की दिशा में एक साथ काम करने की उम्मीद रखते हैं। पीएम मोदी ने कहा कि आइए हम मिलकर अपने लोगों की भलाई और वैश्विक शांति, स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए काम करें।
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ट्रंप की जीत से आज शेयर बाजार में तेजी, सेंसेक्स 1000 अंक का उछाल
6 नवम्बर बुधवार को भारतीय शेयर बाजार में जोरदार रैली देखी गई। जब अमेरिकी चुनावों में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बढ़त बनानी शुरू की। 3:30 PM (स्थानीय समय) तक, ट्रंप के पास 266 इलेक्टोरल वोट थे। जबकि उनकी डेमोक्रेटिक प्रतिद्वंदी कमला हैरिस के पास 205 वोट थे।
इस खबर से दलाल स्ट्रीट पर उत्साह का माहौल बन गया, और बीएसई सेंसेक्स 1,093.1 अंक (1.37%) की तेजी के साथ 80,570 तक पहुंच गया। एनएसई निफ्टी50 ने भी 324.3 अंक (1.33%) बढ़त हासिल की और 24,538 पर बंद हुआ। विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप की संभावित जीत भारतीय बाजारों के लिए सकारात्मक साबित हो सकती है। जिससे निवेशकों का मनोबल बढ़ा है।
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सत्र के अंत तक, सेंसेक्स 901.5 अंक (1.13%) की बढ़त के साथ 80,378 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी50 271 अंक (1.12%) बढ़कर 24,484 पर समाप्त हुआ।
अमेरिका भारत का महत्वपूर्ण व्यापारिक साझीदार है। जो भारत के कुल माल निर्यात का 18% हिस्सा लेता है, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मास्युटिकल्स और पेट्रोलियम उत्पाद शामिल हैं। भारत आईटी और पेशेवर सेवाओं का प्रमुख निर्यातक भी है, और अमेरिका इन सेवाओं का सबसे बड़ा उपभोक्ता है। ट्रंप की जीत से इन व्यापारिक संबंधों में और मजबूती की उम्मीद है।
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प्रधानमंत्री मोदी और डोनाल्ड ट्रंप की दोस्ती से भारत को होंगे ये फायदे
1. चीन के खिलाफ अमेरिका की कड़ी नीति से फायदा
ट्रंप का चीन के खिलाफ कड़ा रुख भारत के लिए लाभकारी हो सकता है। अमेरिका चीन से अपनी आपूर्ति शृंखलाओं को कम करने के लिए ‘चाइना प्लस वन’ रणनीति पर जोर दे सकता है। इसका मतलब है कि भारतीय कंपनियों को अमेरिकी बाजार में अधिक मौके मिल सकते हैं, क्योंकि अमेरिकी कंपनियां चीन की जगह भारत जैसे देशों में निवेश बढ़ा सकती हैं।
विशेष रूप से भारतीय ऑटो कंपोनेंट, रसायन, और विनिर्माण क्षेत्र के लिए यह एक बड़ा अवसर हो सकता है। क्योंकि अमेरिकी कंपनियां चीन से सामग्री मंगाने के बजाय भारत को प्राथमिकता दे सकती हैं।
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2. भारत-यूएस व्यापार संबंधों में नई दिशा
डोनाल्ड ट्रंप ने पहले भी भारत को ‘व्यापारिक रूप से महत्वपूर्ण साथी’ माना है। उनका रुख अमेरिकी व्यापारियों को भारतीय बाजार में निवेश करने के लिए प्रेरित कर सकता है। हालांकि, व्यापारिक तनाव जैसे कि शुल्क बढ़ाना, पहले भी देखने को मिले थे, लेकिन उनका ‘अमेरिका फर्स्ट’ सिद्धांत भारत को यह चुनौती दे सकता है कि वह अपनी व्यापार नीति को और अधिक लचीला बनाए, जिससे दोनों देशों के व्यापारिक संबंध और भी मजबूत हो सकते हैं।
3. भारत को उच्च-शुल्क से फायदा
डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में चीन के साथ व्यापार युद्ध ने वैश्विक व्यापार में उतार-चढ़ाव पैदा किया था, लेकिन इसके कारण कुछ भारतीय उद्योगों को भी फायदा हुआ। उदाहरण के तौर पर, यदि चीन पर उच्च शुल्क लगाया जाता है तो अमेरिकी बाजार में भारतीय वस्त्र, रसायन, और धातु उद्योग को लाभ हो सकता है। ट्रंप की नीतियों से भारत की वस्त्र और केमिकल्स जैसे क्षेत्रों को अमेरिका में अधिक मांग मिल सकती है, क्योंकि अमेरिका चीनी माल से बचने के लिए भारत से इन उत्पादों को मंगवाने पर विचार कर सकता है।
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4. फार्मास्युटिकल क्षेत्र पर न्यूनतम असर
भारत का फार्मास्युटिकल उद्योग वैश्विक स्तर पर काफी मजबूत है और अमेरिकी बाजार में भारत की दवाओं की डिमांड भी बनी रहती है। ट्रंप प्रशासन का यदि पहले की तरह Medicare की दवा मूल्य निर्धारण नीतियों में कोई बदलाव करता है, तो इससे भारत के दवा निर्यात पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा। इसके बजाय, ट्रंप की नीतियां भारतीय कंपनियों के लिए अमेरिका में बिक्री में वृद्धि का मौका पैदा कर सकती हैं।
5. भारतीय धातु और निर्माण उद्योग को लाभ
ट्रंप के पहले कार्यकाल में व्यापार युद्ध के दौरान भारतीय धातु और निर्माण उद्योग को कुछ हद तक लाभ हुआ था। यदि चीन से आयात पर प्रतिबंध और उच्च शुल्क जारी रहते हैं, तो भारतीय धातु उद्योग को नए अवसर मिल सकते हैं। खासकर उस क्षेत्र में, जहां अमेरिका चीन से आयातित धातु की जगह भारतीय उत्पादों का विकल्प ढूंढने की कोशिश कर सकता है।
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6. भारत को रक्षा क्षेत्र में भी मिलेगा फायदा
भारत और अमेरिका के बीच रक्षा सहयोग पहले ही मजबूत हो चुका है। ट्रंप के राष्ट्रपति बनने से यह सहयोग और भी बढ़ सकता है, क्योंकि दोनों देशों का साझा रणनीतिक हित है, विशेष रूप से चीन और पाकिस्तान जैसे देशों के संदर्भ में। ट्रंप प्रशासन के तहत भारत को अमेरिकी रक्षा उपकरणों की खरीद में भी बढ़ोतरी हो सकती है, जो भारत की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करेगा।