Spotnow news: ओरण बचाओ अभियान के धरने पर पहुंचे शिव विधायक रविंद्र सिंह भाटी ने कहा कि- मैं सदन के बीच में खड़ा होकर उनकी खाल उतार दूंगा, प्रशासन के कुछ लोग, जो अपनी वर्दी को गिरवी रखे हुए हैं, वो अशोक स्तंभ को हटा कर अडानी की पट्टी लगा लें।
विधायक रविंद्र सिंह भाटी ने कहा कि मैं सदन के बीच में खड़ा होकर उनका खाल उतार दूंगा, और फिर किसी को यह नहीं समझ पाएगा कि उस स्थान से कौन आया था। प्रशासन से मेरा फिर से निवेदन है कि सभी पक्षों को सुनने के बाद, ओरण की जमीन को राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज कर काम शुरू करें।
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उन्होंने स्पष्ट किया कि वे विकास के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन जबरदस्ती किसी को परेशान किया जाएगा तो उसका मुँह तोड़ जवाब देंगे। हमारे हाथों में चूड़ियां नहीं पड़ी हैं। जब हमारे लोग तड़पते हुए देखेंगे तो मन में पीड़ा होगी। अगर आज भी हम सोते रहे तो इसके गुनहगार हम होंगे।
जाने क्या है ओरण ?
ओरण जिन्हें देवबानी भी कहा जाता है। वे संरक्षित वन क्षेत्र होते हैं जिन्हें गांवों के लोग किसी देवी-देवता के नाम पर संरक्षित करते हैं। इनका प्रबंधन पूरी तरह से समुदाय द्वारा किया जाता है। राजस्थान में 1,100 से ज्यादा प्रमुख ओरण हैं। जो करीब 1,00,000 हेक्टेयर भूमि पर फैले हुए हैं। ओरण को भगवान की ज़मीन भी कहा जाता है। क्योंकि यहां पर किसी पेड़ को काटने की अनुमति नहीं होती, और न ही पेड़ से गिरी लकड़ियों को जलाने के लिए उठाया जा सकता है।
हालांकि सरकार की ओरण और गोचर भूमि की अनदेखी के कारण बाहरी कंपनियों और भू माफ़ियाओं की नज़र इन पर टिकी हुई है। जो इन क्षेत्रों पर कब्जा करने की कोशिश करते हैं। यह स्थिति ओरण की पारंपरिक सुरक्षा और इनके प्राकृतिक संरक्षण के लिए खतरे की घंटी साबित हो रही है।
आज चंद रुपयों में बिकने वाले लोग वर्दी पहनकर खड़े हैं यह कहते हुए विधायक ने कहा कि मैंने उन लोगों से कहा था कि अशोक स्तंभ हटाकर अडानी की पट्टी लगा लें। रामगढ़ में 9 लाख हेक्टेयर जमीन अवाप्त हो गई है। उसमें कितने पेड़ कटे होंगे? एक पेड़ मां के नाम कर दो और दूसरी ओर अडानी के नाम पर लाखों पेड़ खड़े हैं। ये जमीनें ओरण में क्यों नहीं दर्ज की गईं? जयपुर और बाड़मेर जैसे जिलों में बैठे अधिकारियों को ओरण गोचर का क्या मतलब है, ये शायद उन्हें पता भी नहीं।
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विधायक ने कहा कि मैं उन सभी अधिकारियों को बताना चाहता हूं। जो जिला और संभाग के एसी कमरों में बैठे हैं, कि कान खोलकर सुन लें। अगर इन हालात को सुधारा नहीं गया तो मैं कलेक्ट्रेट और कचहरी में उनका निकलना नामुमकिन कर दूंगा।
इन लोगों ने अनैतिक तरीके से कई युवाओं को डिटेन किया। उन्होंने सोचा कि अगर यहां कोई बोलेगा तो उसे चार-चार डंडे मारकर अंदर डाल देंगे। लेकिन हम फिर आवाज उठाएगें इन नेताओं की हिम्मत नहीं है, क्योंकि कंपनी बहुत बड़ी है विधायक ने कहा।
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यह जगह हमारी अपनी है, हमारे पूर्वजों ने ओरण जमीन गोचर के लिए दी थी। इस पर अनैतिक तरीके से कब्जा नहीं होने देंगे। यहां के लोगों का जीवन पशुधन पर निर्भर है, और आप एक तरफ गाय की पूजा करने की बात करते हैं, दूसरी तरफ इन मल्टीनेशनल कंपनियों के लालच के लिए ओरण और गोचर की भूमि को खत्म कर गोवंश की हत्या करवा रहे हैं। आप लोग हत्यारे हो।
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