Spotnow news: अमेरिका में गौतम अडाणी और उनके सहयोगियों पर धोखाधड़ी और रिश्वत के आरोप लगने के बाद यह मामला राजनीतिक सुर्खियां बटोर रहा है।
आज कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने इस मामले में बयान दिया जिसमें उन्होंने कहा कि बीजेपी ने अडाणी का पक्ष लेते हुए प्रेस कॉन्फ्रेंस की। भला उन्हें ऐसा करने की क्या जरूरत पड़ी?
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डोटासरा ने कहा कि अडाणी को देश में हर चीज का ठेका मिल जाता है। क्योंकि अडाणी ने देश के प्रधानमंत्री से सेटिंग कर रखी है। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री अडाणी के अवैध व्यापार को बढ़ाने में सहयोग कर रहे हैं।
गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि इस मामले में निष्पक्ष जांच होनी चाहिए और धोखाधड़ी में शामिल नेताओं और अधिकारियों को पकड़कर जेल में डाला जाना चाहिए। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि कांग्रेस के शासन में भी अडानी ने निवेश किया था, और निवेश करना गलत नहीं है, लेकिन लोगों के पैसों के साथ धोखाधड़ी करना, भ्रष्टाचार करना और रिश्वत देना एक अपराध है। अमेरिकी अदालत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अडानी ने निवेशकों के साथ धोखाधड़ी की है।
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प्रधानमंत्री अब चुप क्यों है
डोटासरा ने कहा प्रधानमंत्री मोदी ने जो बड़े-बड़े बयान दिए थे, वो अब कहां गए? उन आरोपों का अब क्या हुआ? लाल डायरी के बारे में जो कुछ भी उन्होंने कहा, वह सब बातें कहां गईं? आरोप तो लगा दिए अब बिल में जाकर क्यों छुप रहे हो। जब आप आरोप लगाते हैं, तो जांच करने का पूरा अधिकार है। यह सरकार भी पूरी तरह स्वतंत्र है। ऊपर वाले भी इस मामले में पूरी स्वतंत्रता से काम करेंगे। अब तो अमेरिका भी इस जांच में शामिल हो सकता है।
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समरावता हिंसा पर मुख्यमंत्री क्यों चुप हैं
उन्होंने आगे कहा कि- समरावता की घटना पर मुख्यमंत्री ने कुछ नहीं कहा। वे तो दिल्ली की पर्ची पर लिखे शब्दों के हिसाब से बोलते हैं। अगर उसमें ‘जय हिंद’ लिखा हो, तो वही बोलेंगे, और उसके अलावा कुछ नहीं। मुख्यमंत्री ने पूर्व की सभी केंद्र सरकारों को राष्ट्र विरोधी बताया, जो अत्यंत निंदनीय है। क्या मुख्यमंत्री को यह नहीं समझ में आता कि वे क्या बोल रहे हैं?
डोटासरा ने मुख्यमंत्री से कहा कि आप तो दिल्ली से या अधिकारियों से जो भी लिखकर आए। वही बोलें। आप खुद से कुछ ना बोले क्योंकि कभी तो आप किसी जिंदा व्यक्ति को श्रद्धांजलि दे देते हैं। इसलिए मेरी सलाह है कि जितना पर्ची में लिखा है, उतना ही बोलें। और इस पर्ची को लिखने का तरीका थोड़ा बदल लें।
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महंगी बिजली का असर आम जनता पर पड़ा
डोटासरा ने अडाणी के निवेश पर कहा कि उद्योग लगाना गलत नहीं है। लेकिन अगर रिश्वत का लेन-देन हुआ है तो वह अपराध है। अडाणी ने 2000 करोड़ रुपये रिश्वत देकर महंगी बिजली बेचने का सौदा किया। जिससे उपभोक्ताओं पर असर पड़ा। अगर राजस्थान में गड़बड़ी हुई है तो केंद्र सरकार डबल इंजन की सरकार होने के नाते जांच कराए। जमीन आवंटन हर सरकार करती है, यह अपराध नहीं है। राजस्थान में अडाणी को जमीन देने का मामला भी इसी तरह का है। अगर गड़बड़ी है तो जांच में सब सामने आ जाएगा।
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