Spotnow news: स्वायत्त शासन विभाग ने राजस्थान के नगर निगम, परिषद और पालिका क्षेत्रों में आने वाली अकृषि जमीनों के फ्री होल्ड पट्टे के लिए नया शुल्क निर्धारित किया है। अब जमीन के खातेदार या मालिक निकायों से 200 रुपए प्रति वर्ग मीटर का शुल्क देकर पट्टा प्राप्त कर सकेंगे।
यह शुल्क उन जमीनों के लिए लागू है। जिनका भू-उपयोग परिवर्तन (कृषि से अकृषि) कलेक्टर, एडीएम या एसडीएम के स्तर पर पहले ही किया जा चुका है। लेकिन उनका पट्टा अभी तक संबंधित खातेदार के पास नहीं पहुंचा है।
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राजस्थान में कई छोटे और बड़े नगरीय निकायों में ऐसी अकृषि जमीनें हैं। जिनके पट्टे अभी तक नहीं जारी किए गए हैं। ये जमीनें पहले ग्रामीण क्षेत्रों में थीं और इनके मालिकों ने भू-उपयोग परिवर्तन की प्रक्रिया पूर्ण कर ली थी। अब शहरी क्षेत्र में आने के बाद संबंधित निकाय इन जमीनों का पट्टा जारी करने के लिए जिम्मेदार हैं।
पहले पट्टा शुल्क 2.50 लाख रुपए तक
पहले ऐसी जमीनों का पट्टा लेने के लिए शुल्क का कोई निश्चित निर्धारण नहीं था। यह शुल्क 10 रुपए से लेकर 2.50 लाख रुपए तक हो सकता था। जिससे प्रक्रिया में असमानता बनी रहती थी। प्रशासन शहरों के संग अभियान के दौरान भी पट्टे अलग-अलग दरों पर जारी किए गए थे। अब सरकार ने सभी जगहों के लिए 200 रुपए प्रतिवर्ग मीटर का शुल्क निर्धारित कर दिया है। जिससे पारदर्शिता बढ़ेगी।
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सरकार द्वारा नियमों में बदलाव
सरकार ने इस आदेश के साथ ही निकायों के अधिकारियों के अधिकारों में भी कटौती की है। पहले 500 वर्ग मीटर तक की जमीन का पट्टा अधिकारी अपने स्तर पर जारी कर सकते थे। जबकि 501 से 5,000 वर्ग मीटर तक के पट्टे का निर्णय संबंधित निकाय की बोर्ड बैठक में लिया जाता था।
अब अधिकारियों को केवल 300 वर्ग मीटर तक के पट्टों के लिए अनुमति दी गई है। जबकि 301 से 1,500 वर्ग मीटर तक के पट्टों के लिए बोर्ड की मंजूरी आवश्यक होगी। 1,500 वर्ग मीटर से अधिक की जमीन के पट्टे के लिए अब फाइल सीधे सरकार को भेजी जानी होगी।
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