Friday, November 15, 2024
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Spotnow news: फर्जी नियुक्तियां: 2 निलंबित, महिला लिपिक की नियुक्ति रद्द

Spotnow news: जूनियर क्लर्क पद पर फर्जी तरीके से की गई नियुक्ति के मामले में कड़ी कार्रवाई की है। जयपुर जिला परिषद प्रशासन ने इस मामले में संलिप्त दो कर्मचारियों को निलंबित कर दिया है। जबकि फर्जी नियुक्ति पाने वाली महिला क्लर्क की सेवा समाप्त कर दी गई है।

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जिला परिषद के अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी शेर सिंह लुहाड़िया ने इस मामले में हुई जांच के आधार पर सहायक प्रशासनिक अधिकारी संदीप वर्मा और नितेश टाटीवाल को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। इसके अलावा दोनों कर्मचारियों को जिला परिषद से हटाकर अन्य दूरदराज स्थित पंचायत समितियों में पदस्थापित करने के आदेश दिए गए हैं।

इस पूरे मामले में फर्जी नियुक्ति पाने वाली अंजली चंद्रा की चयन प्रक्रिया को भी निरस्त कर दिया गया है। जिला परिषद प्रशासन ने अंजली चंद्रा की सेवा समाप्त कर दी है। और अब वह विभाग से पूरी तरह बाहर हो गई हैं।

अंजली चंद्रा को 6 अक्टूबर 2023 को जॉइनिंग दी गई। फिर उन्होंने जयपुर एसडीएम फर्स्ट में प्रतिनियुक्ति कर चुनाव कार्य में ड्यूटी की। जनवरी 2024 तक कार्य करने के बाद, उन्होंने फरवरी 2024 से जुलाई 2024 तक मातृत्व अवकाश लिया और उसके बाद 6 महीने का अवैतनिक अवकाश स्वीकृत करवा लिया, जो 31 जनवरी 2025 तक था।

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इस मामले में अन्य दो कर्मचारियों की संलिप्तता भी सामने आई है। विभाग ने अब इन दोनों कर्मचारियों को भी स्थानांतरित कर दिया है। रूपेन्द्र सिंह मेडावत जो कि अतिरिक्त प्रशासनिक अधिकारी थे को पंचायत समिति माधोराजपुरा भेजा गया है। जबकि नरेन्द्र कुमार यादव जो अति. विकास अधिकारी थे, का तबादला पंचायत समिति गोविंदगढ़ कर दिया गया है।

क्या है पूरा मामला?

यह मामला 2013 में जिला परिषद द्वारा निकाली गई कनिष्ठ लिपिक सीधी भर्ती से जुड़ा हुआ है। पिछले साल कुछ लोगों को फर्जी तरीके से नौकरी दी गई थी, जिसमें अंजली चंद्रा का नाम भी शामिल है। अंजली चंद्रा की नियुक्ति तब हुई जब उसके पति संदीप वर्मा जो जिला परिषद में सहायक प्रशासनिक अधिकारी के पद पर कार्यरत थे ने अपनी पत्नी की फर्जी नियुक्ति करवाई थी।

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संदीप वर्मा ने अंजली चंद्रा की नियुक्ति अंजली गुप्ता की जगह करवा दी। जो कि एक स्पष्ट धोखाधड़ी थी। जब इस मामले की शिकायत मिली और दस्तावेज़ सामने आए, तब पूरा मामला उजागर हुआ।

इस पूरे प्रकरण को लेकर प्रशासन ने गंभीर कदम उठाते हुए मामले की गहन जांच जारी रखी है और किसी भी प्रकार की अनियमितता को रोकने के लिए कड़े आदेश जारी किए हैं।

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