Spotnow news: प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन के एक कार्यक्रम में अतुल गर्ग के निर्देशन में बनी फिल्म चोला का ट्रेलर लॉन्च किया गया। ट्रेलर के प्रदर्शन के साथ ही करणी सेना ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया। उनका आरोप है कि फिल्म में सनातन धर्म का अपमान किया गया है।
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करणी सेना के मुंबई अध्यक्ष सुरजीत सिंह राठौड़ ने इस फिल्म पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ट्रेलर में एक सीन में हीरो भगवा वस्त्रों को आग के हवाले कर देता है। और रुद्राक्ष की माला और तुलसी में भी आग लगाता है, जिसे वह सनातन धर्म का अपमान मानते हैं। उनका कहना था कि यदि ये आपत्तिजनक सीन हटाए नहीं गए, तो फिल्म की रिलीज़ होने नहीं दी जाएगी।
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उन्होंने कहा कि जवान फिल्म में दीपिका पादुकोण ने केवल भगवा वस्त्र पहने थे। भंसाली की तो फिर भी समझ आती है, मैं तो वहीं अतुल गर्ग को मारता। साधू-संतों का अपमान तो हम नहीं सहेंगे। अगर सीन हटाए गए तो ठीक है, अन्यथा मैं उनके ऑफिस को नुकसान पहुंचा दूंगा। अगर सीन हटा दिए गए, तो उनके लिए कोई परेशानी नहीं होगी, हम यह फिल्म 20-25 साधु संतों को दिखाएंगे अगर वे आपत्ति जताते हैं, तो हम फिल्म को रिलीज नहीं होने देंगे।
करणी सेना अध्यक्ष की डायरेक्टर अतुल गर्ग में बातचीत
डायरेक्टर ने मुझसे कहा कि यह राइटर की कहानी थी और हमारी मंशा ऐसा दिखाने की नहीं थी। लेकिन मैंने पूछा मंशा नहीं थी से क्या मतलब है? या तो आप फिल्म के लिए पब्लिसिटी चाहते हो, या फिर फिल्म बैन हो जाएगी या डब्बा बंद हो जाएगा, अगर सारे सीन हटाए नहीं गए।
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अगर कुछ दिखाना था तो गंगा नदी में बहा देते, वहां तो सारे पाप धुल जाते हैं। लेकिन अब आप भगवा रंग को जलाते हो और वस्त्रों को फाड़ते हो क्या यह पाखंड नहीं है? यदि सही तरीके से कुछ दिखाना था तो इस कहानी को लिखने का तरीका पूरी तरह से बदलना चाहिए था।
सेंसर बोर्ड अध्यक्ष प्रसून जोशी पर भड़के करणी सेना अध्यक्ष
सुरजीत सिंह ने कहा कि सबसे बड़ी विडंबना यह है कि गोवा फिल्म फेस्टिवल के आयोजक ऐसी चीजों को क्यों बढ़ावा देते हैं। उन्हें ऐसे ट्रेलर को पहले से ही देखना चाहिए था। प्रसून जोशी जो सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष हैं। शायद इतिहास के बारे में कुछ नहीं जानते। क्या उन्हें यह नहीं पता कि हमारे सनातन धर्म का लगातार अपमान किया जा रहा है? हिंदू राष्ट्र बनने की दिशा में अग्रसर है, और ये लोग अपमान करते जा रहे हैं।
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इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में जब बाहर से लोग और बड़े कलाकार आएंगे, तो उनका क्या संदेश जाएगा? वे क्या सोचेंगे, जब देखेंगे कि भारत में साधु-संतों और हमारे धार्मिक प्रतीकों की कोई अहमियत नहीं है?