अजमेर न्यूज़: अजमेर ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर 813वें उर्स का शुभारंभ बड़े धूमधाम से हुआ। बुधवार रात चांद के दीदार के बाद तोप के गोले दागकर उर्स का ऐलान किया गया।
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इस मौके पर शादियाने और नगाड़े बजाए गए, और जायरीनों ने एक-दूसरे को गले मिलकर उर्स की मुबारकबाद दी।
उर्स के पहले दिन दरगाह दीवान सैयद जैनुल आबेदीन अली खान की सदारत में पहली महफिल का आयोजन हुआ और मजार शरीफ को पहला गुस्ल दिया गया। इस दौरान देशभर से आए जायरीन और श्रद्धालुओं ने अपनी हाजिरी लगाई।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस ऐतिहासिक उर्स पर अजमेर शरीफ दरगाह में चादर भेंट की। यह चादर केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने गुरुवार रात करीब 10 बजे एक सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए सार्वजनिक की। रिजिजू ने बताया कि
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के उर्स पर अजमेर शरीफ दरगाह पर उनकी ओर से चढ़ाई जाने वाली चादर पेश की।
यह भाव भारत की समृद्ध आध्यात्मिक विरासत तथा सद्भाव और करुणा के स्थायी संदेश के प्रति उनके गहरे सम्मान को दर्शाता है।
2024 में विवादों में रही दरगाह
साल 2024 में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह विवादों में घिरी रही। हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने दावा किया कि दरगाह की जमीन पर पहले शिव मंदिर था और इसे लेकर उन्होंने कोर्ट में याचिका दायर की। कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के लिए 20 दिसंबर की तारीख तय की।
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इस बीच यह अफवाहें भी उठीं कि जवाहरलाल नेहरू के समय से दरगाह पर चादर चढ़ाने की परंपरा रही है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शायद इस बार ऐसा नहीं करेंगे। इन चर्चाओं पर विराम लगाते हुए गुरुवार रात को दरगाह में प्रधानमंत्री की ओर से चादर पेश की गई।