राजस्थान न्यूज़: नाबालिग बच्चों के सोशल मीडिया पर रील बनाने पर दादा-दादी से उनकी कस्टडी छीनकर मां को सौंप दी गई।
अदालत ने कहा कि 11 साल के बच्चे खुद वीडियो बना रहे हैं, एडिट कर रहे हैं, लेकिन दादा-दादी को इसकी खबर ही नहीं है। यह लापरवाही है।
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क्या है मामला:
जयपुर में एक व्यक्ति की दोनों किडनियों के खराब होने के कारण मृत्यु के बाद उसके नाबालिग बच्चों की कस्टडी उनकी मां को न देकर दादा-दादी को सौंप दी गई थी। इसके बाद बच्चों की मां ने अदालत में अपनी 11 साल की बेटी और 7 साल के बेटे की कस्टडी के लिए याचिका दायर की।
21 जनवरी को हुई सुनवाई के दौरान मां के वकील ने कोर्ट में सोशल मीडिया पर बच्चों द्वारा बनाए गए वीडियो पेश किए। उन्होंने दलील दी कि दादा-दादी बच्चों की सही देखभाल नहीं कर रहे हैं। 11 साल की बच्ची खुद वीडियो बना रही है, उन्हें एडिट कर रही है और अपलोड कर रही है, लेकिन दादा-दादी को इसकी जानकारी तक नहीं है। इन वीडियो से आय भी हो रही है, लेकिन पैसा किसी और के पास जा रहा है।
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हाईकोर्ट ने बच्चों के सभी वीडियो देखने के बाद फैसला सुनाते हुए कहा कि दादा-दादी की यह लापरवाही गंभीर है। नाबालिग बच्चों का सोशल मीडिया पर इतनी सक्रियता साइबर अपराध के खतरे को बढ़ा सकती है। ऐसे में अदालत ने बच्चों की कस्टडी मां को सौंपने का निर्णय लिया।
न्यायाधीश ने कहा- मां बच्चों की संरक्षक
न्यायाधीश पंकज भंडारी की अदालत ने अपने फैसले में कहा कि मां ही बच्चे की प्राकृतिक संरक्षक होती है। इसी आधार पर, बच्चों की भलाई को ध्यान में रखते हुए उनकी अभिरक्षा मां को सौंपी गई है। हालांकि, अदालत ने दादा-दादी को भी अधिकार देते हुए हर रविवार दोपहर 12 बजे से शाम 5 बजे तक बच्चों से मिलने और उनके साथ समय बिताने की अनुमति दी है।
दादा-दादी की प्रतिक्रिया:
बुजुर्ग दंपति ने आरोप लगाया कि बहू ने उनके बेटे को उसकी जरूरत के समय किडनी नहीं दी, जिससे उसकी मृत्यु हो गई। उन्होंने कहा कि वे इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगे।
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मां का पक्ष:
बच्चों की मां ने कहा कि पति की मृत्यु के बाद ससुरालवालों ने उन्हें परेशान किया, जिसके कारण वह मायके में रहने लगीं। उन्होंने बताया कि उनकी बेटी दिनभर मोबाइल में व्यस्त रहती है और बेटे की भी ठीक से देखभाल नहीं हो रही थी, इसलिए उन्होंने अदालत का रुख किया।