राजस्थान न्यूज: आज, सोमवार को विधानसभा में अध्यक्ष वासुदेव देवनानी फूट-फूटकर रो पड़े।
उन्होंने कहा कि.
“बाप बड़ा मन तब रखता है जब बेटा भी अपना कर्तव्य निभाए,”
“बड़ा मन रखते हुए ही मैंने सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों को बुलाया, जहां वरिष्ठ नेता भी मौजूद थे। सर्वसम्मति बनी थी कि गोविंद सिंह डोटासरा सदन में आकर खेद प्रकट करेंगे, क्योंकि ‘माफी’ बहुत बड़ा शब्द है।”
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अगर खेद प्रकट करते, तो उनके निलंबन पर पुनर्विचार किया जा सकता था।
अविनाश गहलोत के मामले पर उन्होंने कहा कि पहले उनको खेद प्रकट करना था इसके बाद मंत्री बोलते, लेकिन वह नहीं चाहते थे कि मंत्री बोले।
अध्यक्ष बोले- ऐसा व्यक्ति (गोविंद सिंह डोटासरा) सदन का सदस्य बनने लायक नहीं है
कल सदन की गरिमा बनी रहे, इसलिए उसे स्थगित किया गया। यहां बैठकर एक दल का प्रदेश अध्यक्ष भाषण दे, उन शब्दों को मैं दोहरा नहीं सकता। मेरा अपमान नहीं हुआ है, इस आसन का अपमान हुआ है। आगे क्या होगा, यह सदस्य तय करेंगे, लेकिन ऐसा व्यक्ति सदन का सदस्य बनने के भी योग्य नहीं है।
उन्होंने कहा कि “मैंने हमेशा सदन की कार्यवाही को निष्पक्ष रूप से संचालित करने की कोशिश की। सत्ता पक्ष मुझ पर विपक्ष का पक्ष लेने का आरोप लगा रहा है, और विपक्ष को लग रहा है कि मैं सत्ता पक्ष का समर्थन कर रहा हूँ।
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उन्होंने रोते हुए कहा कि मेरी आत्मा गवाही देती है कि मैंने कभी पक्षपात नहीं किया, और न ही करूंगा।”
उनकी ही पार्टी के सदस्य कह रहे हैं कि समझौते का पालन नहीं हुआ। फिर भी जिन शब्दों का इस्तेमाल किया जा रहा है, वह पीड़ादायक है।”
उन्होंने कहा कि “आप सभी ने मुझे इस पद तक पहुंचाया। मैं तो एक साधारण कार्यकर्ता था, कभी सोचा भी नहीं था कि यहां तक आऊंगा। लेकिन मैं ऐसे अपमानजनक शब्दों के लिए अध्यक्ष नहीं बना हूँ। अब आप ही तय करें कि इस मामले में आगे क्या किया जाए।”
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