Tuesday, March 25, 2025
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जोधपुर पारिवारिक कोर्ट- पत्नी सक्षम हो, फिर भी पति की कमाई की हकदार

जोधपुर, पारिवारिक न्यायालय संख्या-2 के पीठासीन अधिकारी वरुण तलवार ने एक महत्वपूर्ण मामले में फैसला सुनाते हुए स्पष्ट किया कि चाहे पत्नी शिक्षित हो और आय अर्जित करने में सक्षम हो, फिर भी वह अपने और पुत्र के भरण-पोषण के लिए पति की कमाई का हकदार बनी रहती है।

इस मामले में अदालत ने पति रजनीश चौहान को आदेश दिया कि वह अपनी पत्नी मिक्की चौहान और बेटे मयंक चौहान को हर महीने 15 हजार रुपए का भरण-पोषण भत्ता अदा करे।

दरअसल, मिक्की चौहान ने 27 जनवरी 2014 को अधिवक्ता हेमंत बावेजा के माध्यम से कोर्ट में याचिका दायर की थी। उन्होंने बताया कि उनकी शादी 30 नवंबर 2009 को सोजती गेट, राजदादाजी हॉस्पिटल के पास रहने वाले रजनीश चौहान से हुई थी। शादी के कुछ समय बाद ही रजनीश ने दहेज की मांग को लेकर मिक्की को शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। उस दौरान मिक्की गर्भवती थी, फिर भी उसके साथ दुर्व्यवहार होता रहा। 8 अगस्त 2010 को मिक्की ने बेटे मयंक को जन्म दिया, लेकिन बच्चे के जन्म के बाद भी दहेज को लेकर प्रताड़ना जारी रही।

घरेलू हिंसा और उत्पीड़न से परेशान मिक्की अपने मायके चली गई। 5 अगस्त 2013 को समझौते के तहत रजनीश ने उसे वापस बुला लिया, लेकिन कुछ दिन ठीक रहने के बाद फिर प्रताड़ना शुरू कर दी। इसके बाद मायके में रहते हुए मिक्की ने अपने और बेटे के भरण-पोषण के लिए कोर्ट का सहारा लिया।

पति ने कोर्ट में दी सफाई, पर दलीलें खारिज

रजनीश चौहान ने कोर्ट में दलील दी कि मिक्की एमए और बीएड तक शिक्षित है और वह खुद अपने और बेटे का भरण-पोषण करने में सक्षम है। रजनीश ने यह भी बताया कि पूर्व में दर्ज किए गए घरेलू हिंसा के मामले में 3200 रुपए मासिक गुजारा भत्ता देने का अंतरिम आदेश पहले ही पारित हो चुका है। इसलिए उन्होंने इस याचिका को खारिज करने की मांग की।

कोर्ट का फैसला- पति का दायित्व खत्म नहीं होता

दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद न्यायालय ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि भले ही पत्नी शिक्षित और आत्मनिर्भर हो, लेकिन पुत्र के लालन-पालन की जिम्मेदारी दोनों माता-पिता की होती है। पति की आय का एक हिस्सा पत्नी और पुत्र के भरण-पोषण के लिए देना आवश्यक है।

भरण-पोषण की राशि और भुगतान की शर्तें

कोर्ट ने अपने आदेश में रजनीश चौहान को निर्देश दिया कि

  • 27 जनवरी 2014 से 10 मार्च 2025 तक मिक्की चौहान को 3 हजार रुपए और मयंक चौहान को 3 हजार रुपए प्रतिमाह भरण-पोषण दिया जाए।
  • 11 मार्च 2025 से मिक्की को 5 हजार रुपए और मयंक को 10 हजार रुपए प्रतिमाह तब तक दिया जाए जब तक पुत्र बालिग न हो जाए।

बकाया राशि पांच किश्तों में चुकाने का आदेश

अदालत ने यह भी आदेश दिया कि भरण-पोषण की बकाया राशि पांच बराबर किश्तों में चुकाई जाए और भविष्य में यदि किसी अन्य मामले में कोई गुजारा भत्ता प्राप्त होता है तो वह इस राशि में समायोजित किया जाएगा। भरण-पोषण की मासिक राशि हर महीने की 10 तारीख तक अदा करनी होगी।

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